विसर्जन पर सीएम फडणवीस ने दिए निर्देश (सौजन्य-सोशल मीडिया)
मुंबई: महाराष्ट्र की महायुति सरकार ने गणेशोत्सव से पहले प्लास्टर ऑफ पेरिस (POP) से बननेवाली बड़ी मूर्तियों पर जारी गतिरोध को खत्म करने के संकेत दिए हैं। पर्यावरण अनुकूल त्योहारों के आयोजन के संबंध में सह्याद्री अतिथिगृह में शुक्रवार को हुई बैठक में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने पीओपी से बनी गणेश प्रतिमाओं के विसर्जन के संबंध में रीति-रिवाजों और परंपराओं का सम्मान करते हुए पर्यावरण अनुकूल दीर्घकालिक उपाय वाली नीति तैयार करने के निर्देश दिए।
इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्य मंत्री और मुंबई उपनगर के पालकमंत्री एड. आशीष शेलार, बृहन्मुंबई महानगरपालिका आयुक्त भूषण गगरानी, महाधिवक्ता वीरेंद्र सराफ, मुख्यमंत्री के सचिव डॉ. श्रीकर परदेशी, पर्यावरण विभाग के प्रधान सचिव प्रवीण दराडे, बृहन्मुंबई महानगरपालिका के अतिरिक्त आयुक्त अमित सैनी, प्रधान सचिव और कानूनी सलाहकार सुवर्णा केवले, प्रदूषण नियंत्रण मंडल के प्रभारी सदस्य सचिव रवींद्र आंधले आदि उपस्थित थे।
पीओपी से बनी गणेश प्रतिमाओं के विसर्जन के संबंध में न्यायालय ने निर्देश दिए हैं। राज्य सरकार ने राजीव गांधी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी आयोग से उक्त निर्देश के अनुसार रिपोर्ट मांगी थी। आयोग के अध्यक्ष डॉ. अनिल काकोडकर ने अपनी रिपोर्ट दे दी है। उन्होंने कहा है कि गहरे समुद्र में बड़ी प्रतिमाओं के विसर्जन के संदर्भ में अध्ययन करना जरूरी है। इसके साथ ही उन्होंने अध्ययन के बाद मामला न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
डॉ. काकोडकर ने यह भी कहा कि जल प्रदूषण को ध्यान में रखते हुए इको-फ्रेंडली गणेश प्रतिमाएं बनाने पर जोर दिया जाना चाहिए। रासायनिक रंगों से प्रदूषण अधिक होता है। इसलिए उन्होंने प्राकृतिक रंगों और इको-फ्रेंडली सामग्रियों के उपयोग पर जोर देकर जागरूकता पैदा करने का सुझाव दिया।
रिपोर्ट में दिए गए सुझावों के आधार पर मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा है कि सार्वजनिक गणेश विसर्जन के बाद समुद्र तटों की सफाई का ध्यान रखने के लिए ठोस उपाय जरूरी है। इसके साथ-साथ गणेश प्रतिमाओं के निर्माण में पर्यावरण अनुकूल सामग्री और प्राकृतिक रंगों का उपयोग करने के लिए भी ठोस उपाय योजना की आवश्यकता है।
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इस पर सांस्कृतिक मामलों के मंत्री एवं मुंबई उपनगर के पालक मंत्री एड. आशीष शेलार ने कहा सार्वजनिक गणेशोत्सव परंपरा के अनुसार मनाया जाना चाहिए। ऊंची और बड़ी गणेश प्रतिमाओं के विसर्जन के लिए पर्यावरण अनुकूल तरीके खोजे जाने चाहिए। साथ ही छोटी प्रतिमाओं का कृत्रिम तालाबों में विसर्जन किया जाना चाहिए। शाडू मिट्टी और पर्यावरण अनुकूल सामग्री का उपयोग करके प्रतिमाएं बनाने के बारे में जन जागरण की जरूरत है।