पुलिस-ASI गिरफ्तार (pic credit: social media)
businessman robbed at Bandra Terminus: मुंबई के बांद्रा टर्मिनस पर 1 सितंबर को हुई सनसनीखेज लूट ने पुलिस महकमे की नींव हिला दी है। कपड़ा व्यवसायी विकास गुप्ता से 10.30 लाख रुपये लूटने के मामले में मुंबई सेंट्रल रेलवे पुलिस ने बड़ा खुलासा किया है। जांच में सामने आया कि इस वारदात की साजिश में फर्जी पुलिसकर्मियों के साथ-साथ असली पुलिस अधिकारी भी शामिल थी।
पुलिस ने इस केस में दो फर्जी पुलिसकर्मी – नीलेश कलसुलकर और प्रवीण शुक्ला के अलावा बांद्रा रेलवे पुलिस स्टेशन की सहायक उपनिरीक्षक (एएसआई) विजया इंगवाले को गिरफ्तार किया है। इस खुलासे ने खाकी वर्दी को शर्मसार कर दिया है।
पुलिस के मुताबिक, अंधेरी निवासी जहीर अहमद ने गुप्ता को इलेक्ट्रॉनिक सामान के आयात का लालच देकर फंसाया। उसने गुप्ता को 10.5 लाख रुपये नकद लेकर बांद्रा टर्मिनस बुलाया। योजना के तहत दो लोग पुलिस की वर्दी में गुप्ता के पास पहुंचे और बैग की तलाशी के बहाने पूछताछ शुरू की। गुप्ता ने बताया कि वह मालाड में कपड़े की दुकान चलाते हैं और गुजरात से माल खरीदने जा रहे हैं। तभी दोनों ने उन्हें धमकाया और बैग लेकर फरार हो गए।
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गुप्ता ने तुरंत बांद्रा पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई। सीसीटीवी फुटेज और तकनीकी जांच के आधार पर फर्जी पुलिसकर्मी पकड़े गए। पूछताछ में एएसआई विजया इंगवाले की भूमिका भी सामने आई, जिसके बाद रेलवे पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। घटना की गंभीरता को देखते हुए रेलवे पुलिस आयुक्त राकेश कलासागर ने बांद्रा रेलवे पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ निरीक्षक नंदकुमार खादीकर को निलंबित कर दिया है।
यह लूटकांड न सिर्फ पुलिस की साख पर सवाल खड़े करता है, बल्कि आम जनता के भरोसे को भी गहरी चोट पहुँचाता है। सवाल यही है कि जब खाकी ही अपराध में शामिल हो, तो भरोसा आखिर किस पर किया जाए?