दादर स्थित चैत्यभूमि पर बुधवार को डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर के 69वें महापरिनिर्वाण दिवस के अवसर पर आस्था और भावनाओं का सागर उमड़ पड़ा। सुबह से ही देशभर के साथ-साथ विभिन्न देशों से आए लाखों अनुयायियों ने भारत रत्न, संविधान निर्माता डॉ. अंबेडकर को नमन किया और सामाजिक न्याय के उनके संदेश को याद किया।
चैत्यभूमि परिसर में “जय भीम” और “बाबासाहेब अमर रहें” के स्वर गूंजते रहे। कई अनुयायियों ने यहां लगाई गई पुस्तकों की दुकानों से बाबासाहेब की रचनाएँ खरीदीं, तो वहीं बड़ी संख्या में लोगों ने ध्यान, प्रार्थना और पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।
राज्यपाल आचार्य देवव्रत, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बाबासाहेब की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर राष्ट्र-निर्माण में उनके अमूल्य योगदान को याद किया। इस अवसर पर विधानसभा के उपाध्यक्ष अन्ना बंसोडे, मंत्री मंगलप्रभात लोढ़ा, मंत्री एवं विधि विशेषज्ञ आशीष शेलार, मंत्री संजय शिरसाट, वंचित के प्रकाश आंबेडकर सहित सभी आंबेडकरी जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे।
मुख्यमंत्री फडणवीस ने इसे भारत की लोकतांत्रिक विरासत के प्रति सम्मान का दिवस बताया। उन्होंने कहा कि डॉ. अंबेडकर की विचारधारा ने समाज में समानता, मानवाधिकार और स्वतंत्रता की नींव को सशक्त किया है। उपमुख्यमंत्री शिंदे ने कहा कि बाबासाहेब की प्रेरणा हर पीड़ित और शोषित के लिए शक्ति का स्रोत है और सरकार उनके सपनों के भारत के निर्माण हेतु प्रतिबद्ध है।
भीम सैनिकों का मानना है कि बाबासाहेब का मिशन सिर्फ भारतीय दलित समाज तक सीमित नहीं, बल्कि मानवता को समानता और बंधुत्व के मार्ग पर अग्रसर करना है। श्रद्धालुओं का कहना था कि यह दिन उनके आदर्शों को याद करने का नहीं, बल्कि उन्हें जीवन में उतारने का संकल्प लेने का है।
चैत्यभूमि पर सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए गए थे। पुलिस, आपातकालीन सेवाएं और स्वयंसेवी संगठनों ने बड़ी संख्या में आने वाले जनसमूह की सुविधा का ध्यान रखा। शाम तक श्रद्धांजलि का यह सिलसिला लगातार जारी रहा।
इस मौके पर कई श्रद्धालुओं की आंखें नम दिखाई दीं। कोई बाबासाहेब की तस्वीर को सीने से लगाकर था, तो कोई उनके सपनों वाले समाज को साकार करने का संकल्प ले रहा था। कई बुजुर्गों ने बताया कि वे पिछले 40-50 वर्षों से इस दिन चैत्यभूमि आकर बाबासाहेब को नमन करते हैं। छोटे-छोटे बच्चे “हम अंबेडकर के सैनिक हैं” लिखी तख्तियां थामे हुए नजर आए।
कई लोगों ने कहा कि बाबासाहेब हमारे लिए सिर्फ नेता नहीं, बल्कि पिता समान हैं। जिन्होंने हमें जीने का अधिकार, पहचान और सम्मान दिया। श्रद्धांजलि के इस अमर क्षण में भावनाओं का ज्वार पूरे माहौल में गूंजता रहा। तो वहीं पुलिस का भी तगड़ा बंदोबस्त रहा।