देवेंद्र फडणवीस और अनिल देशमुख (सोर्स: सोशल मीडिया)
मुंबई: महाराष्ट्र में साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले है। ऐसे में आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख ने उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर आरोप लगाया है कि महाविकास अघाड़ी सरकार के दौरान उपमुख्यमंत्री अजित पवार के खिलाफ हलफनामे पर हस्ताक्षर करने के लिए उन पर दबाव बनाया गया था।
महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख द्वारा उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के खिलाफ लगाए गए आरोपों के बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेता उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के समर्थन में आ गए हैं। भाजपा सवाल उठाए कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के नेता अब तक चुप क्यों रहे?
देशमुख ने हाल ही में दावा किया था कि फडणवीस जब नेता प्रतिपक्ष थे तो उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, कैबिनेट मंत्री आदित्य ठाकरे और यहां तक कि पूर्ववर्ती महा विकास अघाड़ी सरकार में उपमुख्यमंत्री रहे अजित पवार के खिलाफ हलफनामे पर हस्ताक्षर करने के लिए उन पर दबाव बनाने की कोशिश की थी।
शरद पवार के करीबी देशमुख ने यह भी दावा किया कि जब फडणवीस गृह मंत्री थे तब एक ‘‘बिचौलिए” ने कथित तौर पर उन्हें फडणवीस का संदेश पहुंचाया था। फडणवीस ने आरोपों से इनकार किया और देशमुख के कई ऑडियो-वीडियो जारी करने की धमकी दी, जिस पर देशमुख ने पलटवार करते हुए दावा किया कि उनके पास भाजपा के वरिष्ठ नेता के खिलाफ गंभीर आरोपों वाली एक पेन ड्राइव है।
फडणवीस का पक्ष लेते हुए भाजपा नेताओं ने कथित जानकारी छिपाने के लिए देशमुख की मंशा पर सवाल उठाया और धन शोधन मामले में उन्हें चिकित्सा आधार पर दी गई जमानत रद्द करने की मांग की। राज्य के कैबिनेट मंत्री एवं फडणवीस के करीबी सहयोगी गिरीश महाजन से जब आरोप लगाए जाने के समय के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि ‘‘देशमुख इतने दिनों तक चुप क्यों रहे? वे जानबूझकर फडणवीस और राज्य सरकार की छवि खराब करने की कोशिश कर रहे हैं।”
अप्रैल 2021 में तत्कालीन मुंबई पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने आरोप लगाया था कि अनिल देशमुख ने पुलिस को शहर के होटल और बार मालिकों से धन वसूलने के लिए कहा था। इसके बाद देशमुख ने गृह मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था।
भाजपा के विधान पार्षद परिणय फुके ने कहा कि देशमुख को चिकित्सकीय आधार पर जमानत मिली है, लेकिन फडणवीस के खिलाफ उनके तीखे हमलों को देखते हुए उनकी जमानत रद्द कर उन्हें फिर से जेल भेज देना चाहिए। फुके ने इसे राज्य सरकार की छवि बिगाड़ने का प्रयास बताया।
अनिल देशमुख के बेटे सलिल देशमुख ने दावा किया कि उनके पिता को धन शोधन मामले में कोई सबूत न मिलने के कारण जमानत मिली। भाजपा के वरिष्ठ नेता और कैबिनेट मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने भी महाजन की बात दोहराई और हैरानी जताई कि देशमुख ने ऐसा कौन सा ‘एनर्जी ड्रिंक’ पी लिया जिससे वे ऐसी बातें करने लगे। पाटिल ने कहा कि यदि देशमुख के पास ऐसी जानकारी थी, तो उन्हें इसे पहले ही सार्वजनिक करना चाहिए था।
नवनिर्वाचित विधान पार्षद सदाभाऊ खोत ने सवाल उठाया कि देशमुख ने सत्ता में रहते हुए मामला क्यों नहीं दर्ज कराया। खोत ने कहा कि यदि देशमुख के दावों के अनुसार फडणवीस की ओर से कोई व्यक्ति उनसे कई बार मिला, तो देशमुख को उनके खिलाफ मामला दर्ज कराना चाहिए था, खासकर जब वह सत्ता में थे। शिवसेना विधायक संजय शिरसाट ने कहा कि देशमुख नई कहानी गढ़ रहे हैं।
(एजेंसी इनपुट के साथ)