मीठी नदी उफान पर (pic credit; social media)
Maharashtra News: भारी बारिश ने एक बार फिर मुंबई की रफ्तार को रोक दिया है। पिछले दो दिनों से हो रही मूसलधार बारिश के बाद मीठी नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ा और कई जगह नदी ओवरफ्लो हो गई। इसका असर यह हुआ कि शहर के कई इलाकों में रेल पटरियों और सड़कों पर पानी भर गया।
कुर्ला के क्रांति नगर इलाके में हालात इतने खराब हुए कि एनडीआरएफ को बोट चलाकर लोगों को रेस्क्यू करना पड़ा। यह नजारा देखकर लोगों को 26 जुलाई 2005 की भयावह त्रासदी की याद आ गई, जब रिकॉर्ड तोड़ बारिश में मीठी नदी के उफान ने सैकड़ों जिंदगियां छीन ली थीं।
इस बीच, मीठी नदी परियोजना से जुड़ा 65 करोड़ रुपये का बड़ा घोटाला सामने आया है। बताया गया कि सफाई और चौड़ीकरण के लिए आवंटित बजट में ठेकेदारों और बीएमसी अधिकारियों ने मिलकर भारी भ्रष्टाचार किया। पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने मामले में पहली FIR दर्ज कर ली है। इसके बाद ठेकेदारों और अधिकारियों के घरों व दफ्तरों समेत करीब 8 से 9 ठिकानों पर छापेमारी की गई।
जांच में सामने आया कि पांच ठेकेदार कंपनियों—एक्यूट डिजाइन, कैलास कंस्ट्रक्शन, एन.ए. कंस्ट्रक्शन, निखिल कंस्ट्रक्शन और जे.आर.एस. इंफ्रास्ट्रक्चर ने फर्जी एमओयू और नकली जमीन मालिकों की NOC जमा कराई। बीएमसी के स्टॉर्म वाटर ड्रेनेज विभाग ने बिना जांच किए इन कागजों को मंजूरी दे दी। वहीं असली जमीन मालिकों ने साफ किया कि उन्होंने कभी कोई समझौता नहीं किया था और उनके भूखंड पर कीचड़ डंप भी नहीं किया गया।
इसके अलावा, जांच में यह भी पाया गया कि मिट्टी हटाने की मात्रा को जानबूझकर बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया। वेट ब्रिज स्लिप, लॉग शीट और कई जगह अधिकारियों के फर्जी हस्ताक्षर मिले। सिर्फ इसी गड़बड़ी से बीएमसी को 17 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। साथ ही, विदेशी कंपनी की मशीनरी का किराया भी बाजार दर से ज्यादा दिखाया गया, जिससे करोड़ों की हेराफेरी हुई।
भ्रष्टाचार के इस खुलासे के बाद बीजेपी नेता प्रसाद लाड ने आरोप लगाया कि इसका जिम्मेदार ठाकरे की शिवसेना है, जिसने बीएमसी में रहते हुए मुम्बईवासियों को धोखा दिया।
करीब 20 साल पहले आई 2005 की त्रासदी ने साफ कर दिया था कि मीठी नदी की समय पर सफाई और चौड़ीकरण जरूरी है। लेकिन अब, जब हर साल बारिश आते ही वही खतरा मंडराता है, तो सबसे बड़ा सवाल यही उठता है कि आखिर इस लापरवाही और भ्रष्टाचार की कीमत मुंबईकर कब तक चुकाते रहेंगे?