दादा भुसे (सौजन्य-सोशल मीडिया)
मालेगांव: महाराष्ट्र के मालेगांव में अब शिक्षा क्षेत्र में नया बदलाव देखने को मिलने वाला है। महाराष्ट्र के इतिहास में पहली बार एक ऐसे शिक्षा मंत्री दादा भुसे हुए हैं जो स्कूलों में जाकर विद्यार्थियों की गुणवत्ता का मूल्यांकन करते हैं और उनसे संवाद करते हैं। इससे पहले ऐसा कभी नहीं हुआ था कि कोई शिक्षा मंत्री स्कूलों में जाकर विद्यार्थियों से बातचीत करे।
दादा भुसे को शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी मिलने के बाद उन्होंने अपने तहसील से शुरुआत की, जिससे लोगों को उम्मीद है कि शिक्षा क्षेत्र में क्रांति आएगी। इसके अलावा, उन्होंने 50 मेधावी विद्यार्थियों की उपस्थिति में शिक्षा विभाग का पदभार संभाला, जिससे लोगों में यह चर्चा है कि मंत्री भुसे का काम करने का तरीका अलग है।
शिक्षा मंत्री के स्कूलों के दौरे और छात्रों के साथ संवाद करने से शिक्षकों और अभिभावकों में खुशी की लहर दौड़ गई है। इस पहल से शिक्षकों की स्कूल स्तर और प्रशासनिक समस्याओं को समझने के लिए सभी शिक्षक संघटनाओं की बैठकें आयोजित की जा रही हैं, जिससे शिक्षकों में विश्वास का माहौल बना है और उन्हें उम्मीद है कि उनकी समस्याएं जल्द ही हल होंगी।
शिक्षा मंत्री की इस पहल से अभिभावकों में भी खुशी है, क्योंकि वे स्कूलों में जाकर छात्रों की शैक्षिक प्रगति की जांच कर रहे हैं। इससे अभिभावकों को लगता है कि अब शिक्षकों की लापरवाही की जांच होगी और वे अपने बच्चों की शिक्षा के प्रति अधिक जिम्मेदार होंगे। इस प्रकार, शिक्षा मंत्री ने छात्रों, शिक्षकों, और अभिभावको के बीच एक सकारात्मक माहौल बनाया है और उनके काम की शुरुआत में ही एक अच्छा प्रभाव डाला है।
महाराष्ट्र के नवनीत शिक्षा मंत्री ने एक नए युग की शुरुआत की है, जिसमें वे स्कूलों का दौरा कर रहे हैं और छात्रों के विकास के बारे में जानकारी प्राप्त कर रहे हैं। इससे पहले, शिक्षा नीतियां और योजनाएं केबिन में बैठकर बनाई जाती थीं, लेकिन अब मंत्री स्वयं स्कूलों में जाकर शिक्षकों और छात्रों से बातचीत कर रहे हैं। इस पहल से शिक्षकों और अभिभावकों में खुशी की लहर दौड़ गई है, क्योंकि वे महसूस कर रहे हैं कि उनकी समस्याएं सुनी जा रही हैं और हल की जा रही हैं।
मंत्री ने शिक्षक संघटनाओं के साथ बैठकें आयोजित की हैं और उनकी समस्याओं को समझने का प्रयास किया है। लेकिन मंत्री के सामने कई चुनौतियां भी हैं, जैसे कि शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार को समाप्त करना और शिक्षकों की आर्थिक धोखाधडी को रोकना। यह देखना दिलचस्प होगा कि मंत्री इन चुनौतियों का सामना कैसे करते हैं और क्या वे अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सफल होते हैं।
चिखलोहोल के पूर्व उपसरपंच नितिन शिंदे ने कहा, “शिक्षा मंत्री दादा भुसे ने हमारे गांव से स्कूलों का दौरा शुरू किया है, जिससे हमें बहुत खुशी है। पहले शिक्षा मंत्री से मिलकर अपनी समस्याएं बताना मुश्किल था, लेकिन अब सीधे गांव में आकर स्कूलों का निरीक्षण करने वाले शिक्षा मंत्री के आने से हमारे बच्चों के भविष्य की शिक्षा जरूर उज्ज्वल होगी।”
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नाशिक जिला हेडमास्टर्स एसोसिएशन के सचिव एस बी. देशमुख ने कहा, “शिक्षा मंत्री के विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास और स्कूल से बाहर के कार्यों से संबंधित शिकायतों को समझने और समस्याओं का समाधान करने के लिए दिए गए आश्वासन से राज्य के सभी शिक्षकों को उम्मीद है कि वे अपना पूरा ध्यान विद्यार्थियों के विकास पर केंद्रित कर पाएंगे।”