कर्नल प्रसाद पुरोहित (सोर्स- सोशल मीडिया)
Who is colonel Purohit: साल 2008 में महाराष्ट्र के मालेगांव में हुए बम ब्लास्ट मामले में 17 साल बाद NIA कोर्ट ने फैसला सुनाया है। अदालत ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए साध्वी प्रज्ञा और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित समेत 7 लोगों को बरी कर दिया है। मालेगांव के भिक्कू चौक पर हुए इस बम धमाके में कई निर्दोष लोगों की जान गई थी और दर्जनों घायल हुए थे।
साध्वी प्रज्ञा से तकरीबन हर कोई वाकिफ है लेकिन कर्नल प्रसाद पुरोहित को बहुत कम लोग जानते हैं। कर्नल पुरोहित इस मामले में नौ साल जेल में बिता चुके थे। इस मामले में साल 2017 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई थी। कर्नल पुरोहित सुप्रीम कोर्ट में कह चुके हैं कि उन्हें राजनीति के तहत फंसाया गया, जिसके चलते नौ साल से वो जेल में बंद रहे।
कर्नल प्रसाद पुरोहित का जन्म पुणे के एक महाराष्ट्रीयन ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता एक बैंक अधिकारी थे। पुरोहित ने अपनी स्कूली शिक्षा अभिनव विद्यालय से और कॉलेज की शिक्षा गरवारे कॉलेज से पूरी की। कर्नल पुरोहित को 1994 में मराठा लाइट इन्फैंट्री में नियुक्ति मिली। बाद में बीमारी के कारण उन्हें मिलिट्री इंटेलिजेंस में स्थानांतरित कर दिया गया।
2002 से 2005 के बीच, वह आतंकवाद विरोधी अभियानों के लिए MI-25 इंटेलिजेंस फील्ड सिक्योरिटी यूनिट में तैनात थे। नासिक में, वह सेवानिवृत्त मेजर रमेश उपाध्याय के संपर्क में आए। बताया जाता है कि मालेगांव विस्फोट मामले में जेल में बंद उपाध्याय ने एक अतिवादी हिंदू संगठन अभिनव भारत बनाया था, पुरोहित भी इसी संगठन में शामिल हो गए।
जिसके बाद पुरोहित पर सेना से 60 किलो आरडीएक्स चुराने, अभिनव भारत को फंडिंग करने और संगठन के लोगों को प्रशिक्षण देने का आरोप था। उन पर आरोप था कि इस आरडीएक्स का एक छोटा सा हिस्सा मालेगांव में विस्फोट के लिए इस्तेमाल किया गया था।
मालेगांव विस्फोट मामले में बरी हुए लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित ने अदालत को बताया था कि कैसे उन्हें इस मामले में फंसाया गया और फिर यातनाएं दी गईं। उन्होंने कहा था कि मुंबई एटीएस के अधिकारियों ने उन्हें यातनाएं दीं और उनका दाहिना घुटना तोड़ दिया। पुरोहित ने एटीएस पर अवैध पूछताछ का आरोप लगाया था।
उन्होंने यह भी कहा कि एटीएस के अधिकारी उन पर आरएसएस-विश्व हिंदू परिषद के वरिष्ठ सदस्यों और गोरखपुर के तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ का नाम लेने का दबाव बना रहे थे। पुरोहित ने दावा किया कि उन्हें 29 अक्टूबर 2008 को गिरफ्तार किया गया था, हालांकि एटीएस ने उन्हें गिरफ्तार नहीं दिखाया।
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अपने बयान में कर्नल पुरोहित ने यह भी कहा था कि मुंबई में गिरफ्तारी के तुरंत बाद उन्हें खंडाला स्थित एक अलग बंगले में ले जाया गया। वहां एटीएस प्रमुख दिवंगत हेमंत करकरे और परमबीर सिंह सहित अन्य अधिकारी उनसे पूछताछ कर रहे थे।