शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे का महायुती में विरोध
मुंबई: मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की संकल्पना वाले शक्तिपीठ महामार्ग को महायुति कैबिनेट ने मंगलवार को मंजूरी दे दी। सीएम देवेंद्र राज्य के 12 जिलों एवं 18 तीर्थ क्षेत्रों को जोड़नेवाले इस महामार्ग को साकार करने के संकल्प नजर आ रहे हैं। लेकिन इस महामार्ग के उग्र विरोध के संकेत भी मिलने लगे हैं। हैरानी की बात यह है कि विरोधी सुर महायुति से ही सुनाई दे रहे हैं। इसका शंखनाद मंगलवार की बैठक में दो मंत्रियों ने किया है।
किसान शक्तिपीठ का कर रहे विरोध
शक्तिपीठ महामार्ग का राज्य के कई जिलों में किसान उग्र विरोध कर रहे हैं। किसानों के विरोध को देखते हुए स्थानीय मंत्री व विधायक भी महामार्ग के विरोध में है। नाराजी का यह नाटक मंगलवार की बैठक के दौरान भी देखने को मिला। सूत्रों का कहना है कि बैठक में कोल्हापुर जिले के मंत्री प्रकाश आबीटकर और हसन मुश्रीफ ने अपनी नाराजगी खुलकर व्यक्त की। दोनों मंत्रियों ने मुख्यमंत्री को याद दिलाया कि किसान, शक्तिपीठ का विरोध कर रहे हैं। नतीजतन लोकसभा और विधानसभा चुनाव 2024 में महायुति को काफी नुकसान हुआ था। इसलिए किसानों को विश्वास में लिए बगैर आगे बढ़ना उचित नहीं होगा। 12 जिलों और 39 तालुकाओं से होकर गुजरने वाला शक्तिपीठ हाईवे राज्य के लिए फायदेमंद है, लेकिन किसानों के लिए नुकसानदेह है। इसलिए आगामी स्थानीय निकाय और नगर निगम चुनावों की पृष्ठभूमि में किसानों की नाराजगी सरकार को भारी पड़ सकती है।
राजू शेट्टी भी आंदोलन को तैयार
किसान नेता राजू शेट्टी ने चेतावनी देते हुए आंदोलन की तैयारी दर्शाई है। उन्होंने कहा कि कोल्हापुर जिले को बाढ़ की खाई में धकेलने वाले शक्तिपीठ महामार्ग को हम कभी भी साकार नहीं होने देंगे। मंत्रिमंडल को लुटेरों के गिरोह की उपमा देते हुए उन्होंने कहा कि सरकार राज्य की मालिक नहीं है। 30 हजार करोड़ रुपए की परियोजना को 86 हजार करोड़ तक पहुंचाकर इसमें 50 हजार करोड़ रुपए लूटने का साजिश है। हम इसे सफल नहीं होने देंगे। उन्होंने भू मापन के लिए आनेवाले अधिकारियों के विरोध के लिए गुलेल और पत्थर लेकर तैयार रहने की अपील किसानों से की है। तो वहीं अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और शक्तिपीठ हाईवे विरोधी आंदोलन के नेता राजन क्षीरसागर ने कहा कि सरकार गोली चलाएगी तब भी किसान अपनी जमीन नहीं छोड़ेंगे।