मुंबई: साल 2019 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद जिस तरह से 23 नवंबर, 2019 की सुबह तड़के देवेन्द्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) नेता अजीत पवार (Ajit Pawar) के साथ मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, उस पर विवाद जारी हैं। फडणवीस ने सोमवार को एक निजी चैनल के साथ इंटरव्यू में बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि यह शपथ विधि एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार (Sharad Pawar) की सहमति से हुई थी। इस पर अब आघाड़ी के नेताओं ने पलटवार किया है।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा है कि आखिर फडणवीस साढ़े तीन साल तक क्यों चुप थे। उन्होंने कहा कि बीजेपी जनता के बुनियादी सवालों से ध्यान भटकाने के लिए इस तरह के हथकंडे अपना रही है। पटोले ने कहा कि कांग्रेस के लिए सुबह शपथ लेने का मुद्दा महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि हमारे लिए महंगाई, बेरोजगारी, किसान और जनता के बुनियादी मुद्दे अहम हैं। उन्होंने कहा कि इन मुद्दों को लेकर बीजेपी सरकार से हम लगातार जवाब मांग रहे हैं, लेकिन इस पर कोई भी कुछ बोलने के लिए तैयार नहीं है।
वहीं, सांसद संजय राउत ने कहा है कि डिप्टी सीएम देवेन्द्र फडणवीस के दावे में दम नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर सुबह की शपथ एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार की सहमति से हुआ होता तो फडणवीस की सरकार 72 घंटे में नहीं गिरती। राउत ने कहा कि फडणवीस ने यह कोई बड़ा खुलासा नहीं किया है, बल्कि यह फेका-फेक की तरह सिर्फ एक माइंड गेम है। यह महाराष्ट्र की संस्कृति को शोभा नहीं देता है। इससे पहले एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने भी कहा कि फडणवीस एक सभ्य और पढ़े-लिखे नेता हैं। उन्हें डिप्टी सीएम से इस तरह के बयान की उम्मीद नहीं थी।
[blockquote content=”देवेंद्र फडणवीस ने हमारे पार्टी अध्यक्ष के बारे में जो खुलासा किया है वह देश का मुद्दा नहीं है, लेकिन लगता है कि यह डिप्टी सीएम की राजनीति के लिए सुविधाजनक हो सकता है। एक संभावना यह भी है कि फडणवीस, शरद पवार का सहारा ले रहे होंगे क्योंकि उनकी खबरें मीडिया में नहीं आ रही हैं। जिस मंत्री के पास गृह और वित्त जैसे अहम विभाग हैं, वे इस तरह गपशप करने के लिए कैसे समय निकाल लेते हैं। इसलिए मुझे अपने राज्य की चिंता हो रही है। ” pic=”” name=”- सुप्रिया सुले, एनसीपी सांसद “]