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मुंबई: महाराष्ट्र (Maharashtra) में चल रहे हाउसिंग प्रोजेक्ट (Housing Project) को लेकर महारेरा (MahaRERA) ने बड़ा फैसला किया है। पिछले पांच साल तक के महारेरा में रजिस्टर्ड प्रोजेक्ट (Registered Project) की महारेरा समीक्षा करने जा रहा हैं। जिसके तहत बिल्डरों को नोटिस भेजने की कार्रवाई शुरु की गई हैं। महारेरा के इस कदम से लापरवाह बिल्डरों की टेंशन बढ़ सकती है। महारेरा अधिकारी ने कहा कि महारेरा की निगरानी प्रणाली को सक्षम करने और आम उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए महारेरा ने यह कदम उठाया है।
एक अधिकारी ने कहा कि महारेरा 2017 में स्थापना हुई थी। रेरा अधिनियम की धारा 11 के अनुसार, महारेरा में किसी भी आवास परियोजना का पंजीकरण कराने के बाद परियोजना प्रमोटर को पंजीकरण के समय दी गई विस्तृत रिपोर्ट हर तीन महीने में महारेरा वेबसाइट पर अपलोड करना आवश्यक होता है। इससे ग्राहक को परियोजना की स्थिति का पता चलता है, लेकिन देखने में आया है कि प्रोजेक्ट की स्थिति की जानकारी महारेरा पोर्टल पर अपलोड ही नहीं की जा रही है।
महारेरा अधिकारी ने कहा कि अधिकांश प्रोजेक्ट का रजिस्ट्रेशन कराने के बाद उसकी जानकारी भी महारेरा मे दर्ज नहीं की गई है। इसलिए महारेरा ने ऐसी सभी परियोजनाओं को कारण बताओ नोटिस भेजना शुरू कर दिया है। अधिकारी ने कहा कि करीब 18 हजार प्रोजेक्ट में से 2 हजार प्रोजेक्ट को नोटिस भेजा गया है। बचे हुए प्रोजेक्ट को एक महीने के भीतर नोटिस भेजा जाएगा।
महारेरा अधिकारी ने बताया कि पंजीकरण के दौरान इन परियोजनाओं द्वारा प्रदान किए गए पंजीकृत ई-मेल पते पर नोटिस भेजा जा रहा है। इन सभी प्रमोटरों की कमियों को दूर करने के लिए नोटिस की तारीख से 30 दिनों का समय दिया गया है। फिर भी, जिन डेवलपर ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और सुधार नहीं किया उन पर महारेरा भारी भरकम जुर्माना लगाने की तैयारी की जा रही है। प्रमोटरों को अपने प्रोजेक्ट कास्ट का 30 प्रतिशत से जुर्माना चुकाना पड़ सकता है।
महारेरा अधिनियम के अनुसार, प्रमोटर को महारेरा पंजीकरण संख्या के अनुसार, एक अलग खाता खोलकर ग्राहकों से प्राप्त धन का 70 प्रतिशत रकम रखना अनिवार्य होता है। निर्माण के प्रत्येक चरण में यह पैसा निकालते समय क्रमशः प्रोजेक्ट इंजीनियर, आर्किटेक्ट और चार्टर्ड अकाउंटेंट से प्रोजेक्ट पूरा होने का प्रतिशत, गुणवत्ता, प्रोजेक्ट कास्ट का प्रमाण पत्र बैंक को जमा करना होगा। प्रोजेक्ट में कितने फ्लैट और प्लॉट बिके इसकी त्रैमासिक सूची वेबसाइट पर डालना अनिवार्य है।
अधिकारी ने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हर छह महीने में प्रोजेक्ट के खाते का ऑडिट करना अनिवार्य है। जिसमें यह प्रमाणित किया गया हो कि इस खाते से निकाली गई राशि प्रोजेक्ट के पूरा होने के अनुपात में निकाली गई है। यह भी सुनिश्चित करना होता है कि राशि परियोजना पर ही खर्च की गई है। इन सभी प्रमोटरों को 2017-18 से 2021-22 तक पांच साल की अवधि के लिए संपूर्ण जानकारी जमा करनी होगी। महारेरा ने साल अंत में पांच वर्ष की जानकारी एक साथ प्रदान करने के लिए छूट प्रदान की है। उसके बाद भी यदि प्रमोटर्स अपनी जानकारी नहीं देते हैं तो उन पर 30 प्रतिशत जुर्माना लगाया जाएगा।