फर्जी सरकारी आदेश पर काम पूरा (pic credit; social media)
अहिल्यानगर: महाराष्ट्र में ग्रामीण विकास विभाग के लिए एक फर्जी सरकारी आदेश (GR) जारी किया गया था। जिसका काम लगभग पूरा हो गया। लेकिन जैसे ही ठेकेदार इसका पेमेंट लेने पहुंचे, तब अधिकारियों को पता चला कि ऐसा कोई आदेश जारी ही नहीं किया गया था। इस जीआर में करीब 270 किलोमीटर दूर अहिल्यानगर जिले में 6.94 करोड़ रुपये के विकास कार्यों के लिए मंजूरी दी गई थी। यह फर्जी सरकारी आदेश पिछले साल तीन अक्टूबर को जारी किया गया था, जो नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए 15 अक्टूबर को आदर्श आचार संहिता लागू होने से कुछ दिन पहले था। इसके लिए टेंडर भी जारी किया गया था।
इस संबंध में सोमवार को एक अधिकारी ने बताया कि फर्जी आदेश जारी होने के बाद जिला स्तर पर निविदाएं जारी की गईं और अहिल्यानगर, पारनेर, श्रीगोंदा तथा नेवासा तालुकाओं में 45 कार्यों को मंजूरी दी गई। अधिकारी ने कहा, जब ठेकेदारों ने बाद में भुगतान के लिए संपर्क किया, तो मंत्रालय के अधिकारियों ने फाइलों की जांच की। जांच के दौरान पाया गया कि 3 तारीख को कोई आदेश जारी ही नहीं किया गया था। यह जालसाजी और धोखाधड़ी का मामला निकला। ‘ग्रामीण विकास विभाग’ के अधिकारियों ने भुगतान तुरंत रोक दिया गया और विभागीय जांच के आदेश दिए गए।
RDD ने शुरु की मामले की जांच
RDD इस मामले की जांच कर रही है। विभाग ने राज्य के सभी जिला परिषदों और लोक निर्माण विभाग (PwD) के सभी अधीक्षण अभियंताओं से कहा है कि इस GR पर कोई कार्रवाई न की जाए। 28 मार्च 2025 को विभाग ने ये आदेश जारी करते हुए कहा कि स्थानीय स्तर पर कार्यों को मंजूरी देते वक्त अतिरिक्त सावधानी बरती जाए।
पिछले वर्ष विधानसभा चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता लागू होने से पहले ही राज्य सरकार ने कई हजार करोड़ रुपये के विकास कार्यों को मंजूरी दे दी थी। अधिकारी ने कहा, ऐसा प्रतीत होता है कि किसी ने इस स्थिति का फायदा उठाकर फर्जी आदेश जारी किया। हमें अभी यह पता लगाना है कि क्या इस तरह की घटनाएं कहीं और भी हुई हैं।
महाराष्ट्र में इतनी बड़ी गड़बड़ी हुई कैसे?
महाराष्ट्र में पिछले साल विधानसभा चुनाव हुए थे। चुनाव आयोग ने इसके लिए 15 अक्टूबर से आचार संहिता (MCC) लागू कर दी थी। लेकिन आचार संहिता लागू होने से पहले ही राज्य सरकार ने सभी विभागों के जरिए हजारों करोड़ रुपये के विकास कार्यों को मंजूरी दे दी थी। इन फैसलों को जल्दी-जल्दी सरकारी आदेशों (GR) के रूप में जारी किया गया।