लोनार झील ( सोर्सः सोशल मीडिया )
मुंबईः महाराष्ट्र सरकार बुलढाणा जिले में स्थित ऐतिहासिक लोनार झील को संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) की विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल कराने की तैयारी कर रही है।अधिकारियों ने बताया कि इस झील को संरक्षण और वैश्विक पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने के उद्देश्य से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को प्रस्ताव भेजने की योजना तैयार की जा रही है। लगभग 50,000 साल पहले उल्कापिंड के हमले से बनी यह झील दुनिया का सबसे बड़ा बेसाल्टिक प्रभाव गड्ढा है, जिसका व्यास 1.8 किमी और गहराई 150 मीटर है।
यह झील एक अनूठा भूवैज्ञानिक चमत्कार है जो उल्कापिंड के प्रभाव से बनी है। अब इस झील को पर्यटन और अनुसंधान के लिए वैश्विक केंद्र के रूप में विकसित करने तथा इसका संरक्षण किए जाने के मकसद से यह कदम उठाया जा रहा है। इसके खारे-क्षारीय पानी और आसपास के पारिस्थितिकी तंत्र ने स्मिथसोनियन, यूनाइटेड स्टेट्स जियोलॉजिकल सर्वे और जियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया जैसे संस्थानों से व्यापक शोध को आकर्षित किया है।
अमरावती संभागीय आयुक्त निधि पांडे ने हाल ही में प्रस्ताव पर चर्चा करने के लिए लोनार में विभिन्न विभागों के अधिकारियों से मुलाकात की थी। निधि पांडे ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘यह प्रस्ताव जल्द ही प्रस्तुत किया जाएगा।’
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बुलढाणा जिलाधिकारी किरण पाटिल ने कहा कि हम प्रस्ताव को पूरा करने के बाद प्रस्तुत करेंगे। अन्य यूनेस्को स्थलों के विपरीत लोनार झील कई श्रेणियों का एक अनूठा मिश्रण पेश करती है। यह भौगोलिक और वैज्ञानिक चमत्कारों में से एक है, जो उल्कापिंड के प्रभाव से बना है। अधिकारीयों ने बताया कि मुंबई से लगभग 460 किलोमीटर दूर लोनार झील में कई मंदिर हैं, जिसमें कुछ 1,200 साल पुराने मंदिर भी शामिल हैं।
यूनेस्को ‘टैग’ 113 हेक्टेयर में फैली इस झील के ‘उत्कृष्ट सार्वभौमिक मूल्य’ होने के बारे में जानकारी सुनिश्चित करेगा। यदि यह प्रस्ताव स्वीकृत हो जाता है, तो लोनार झील भारत का 41वां यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल बन जाएगी। इसे अजंता और एलोरा गुफाओं, एलीफेंटा गुफाओं और मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस जैसे प्रतिष्ठित स्थलों के साथ सूचीबद्ध किया जाएगा, जिससे यह स्थल वैश्विक मान्यता प्राप्त कर सकेगा।
(एजेंसी इनपुट के साथ)