राहुल गांधी (सोर्स: पीटीआई)
मुंबई: लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने शनिवार को कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज सभी के लिए प्रेरणा के स्रोत हैं। महाराज संविधान रक्षक थे। उन्होंने अपने कार्यकाल में एकता और समानता का जो संदेश दिया उसका सीधा संबंध हमारे देश के संविधान से है। लेकिन देश की बीजेपी की अगुवाई वाली मौजूदा सरकारों ने छत्रपति के विचारों को पीछे छोड़ दिया है। बीजेपी और उसकी सरकारें महाराज की विचारधारा के खिलाफ काम कर रही है। सिर्फ दिखावे के लिए मूर्तियों की स्थापना की जा रही है। लेकिन हकीकत में शिवाजी महाराज द्वारा बताए गए सिद्धांतों के खिलाफ काम किया जा रहा है।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की पृष्ठभूमि में कांग्रेस नेता सुबह कोल्हापुर पहुंचे। कोल्हापुर के कस्बा बावड़ा में महाराज की एक पूर्णाकृती प्रतिमा का अनावरण करने के बाद उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी तथा उसकी अगुआई वाली केंद्र की एनडीए और महाराष्ट्र की महायुति सरकारों पर जमकर हमला बोला।
उन्होंने कहा कि ये शिवाजी महाराज की धरती है। शिवाजी महाराज इस मिट्टी में हर किसी के दिल और दिमाग में बसते हैं। छत्रपति शिवाजी महाराज और छत्रपति शाहू महाराज ने देश में एकता और समानता का सिद्धांत लाने में बहुत योगदान दिया। इसलिए इनका सीधा संबंध हमारे देश के संविधान से है। जब मैं महाराष्ट्र आता हूं तो यहां के लोगों के चेहरों पर, उनके कर्मों में, उनके मन में शिवाजी महाराज के विचार देखता हूं।
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राहुल गांधी ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी इस वक्त देश के संविधान और संवैधानिक संस्थाओं को बचाने की लड़ाई लड़ रही है और अब समय आ गया है कि हम सब उस चीज के लिए मिलकर लड़ें, जिसके लिए छत्रपति शिवाजी महाराज ने जीवन भर संघर्ष किया। यदि कोई आपके पास आकर कहता है कि मैं शिवाजी महाराज का सम्मान करता हूं, तो आप उनसे संविधान बचाने के बारे में पूछें। गरीबों की सुरक्षा के बारे में पूछें। क्योंकि सिर्फ दिखावे के लिए महाराज की प्रतिमा के सामने हाथ जोड़ने का कोई मतलब नहीं है।
कोल्हापुर में राहुल गांधी ने बड़ी घोषणा करते हुए कहा कि कांग्रेस और ‘इंडिया’ गठबंधन की सरकार पहली बार आरक्षण की 50 फीसदी सीमा में बदलाव करेगी और जातिवार जनगणना कराई जाएगी। क्योंकि कोई नहीं जानता है कि देश में ओबीसी कितने हैं? कानूनी तौर पर कोई नहीं जानता। जातीय जनगणना के बाद आधिकारिक जानकारी मिलेगी।
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राहुल गांध ने कहा कि हम सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण कराना चाहते हैं। इससे पता चलेगा कि वित्तीय व्यवस्था में भारत के विभिन्न वर्गों में किसकी कितनी आबादी और कितनी भागीदारी है? किसके हाथ में कितना पैसा है? दलितों के हाथ में कितना पैसा? आदिवासियों के हाथ में कितना पैसा? ओबीसी के हाथ में कितना पैसा? भारत के विभिन्न संस्थानों में यह वर्ग कितना है?’ मीडिया, अदालतों, नौकरशाही में कितने दलित, ओबीसी आदिवासी हैं? कौन कितना बजट मैनेज कर रहा है?
राहुल ने कहा कि यदि किसी को चोट लगती है और डॉक्टर एक्स-रे कराने को कहता है तो हम कराते हैं। जातिवार जनगणना भारत का एक्स-रे है। लेकिन जातिवार जनगणना का बीजेपी और संघ विरोध करते हैं। क्योंकि वे सच्चाई छिपाना चाहते हैं। उनका मानना है कि देश की 90 प्रतिशत जनता को यह नहीं पता होना चाहिए कि देश की संपत्ति और व्यवस्था किसके हाथ में कितनी है। यदि एक्स-रे लिया जाए तो क्या समस्या है?