मनोज जरांगे और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (फाइल फोटो)
जालना. मराठा आरक्षण के मामले में सरकार की ओर से कोई ठोस निर्णय नहीं लिए जाने के कारण मराठा आंदोलनकारी मनोज जरांगे पाटिल काफी आक्रोशित हैं। वह अब मराठा समुदाय के नेताओं और संगठनों से बातचीत कर आगे की दिशा तय करने की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने रविवार को कहा कि यदि सरकार हमारे साथ अन्याय करने वाली है, यदि वह मराठों को चारों तरफ से घेरने की कोशिश कर रही है और उसने आरक्षण नहीं देने का निर्णय ले लिया है, तो हमें फैसला लेना होगा। जिस क्षेत्र में हम जाना नहीं चाहते हैं, हम पर वहां जाने की नौबत सत्ता व विपक्ष में बैठे लोगों के कारण आ गई है। मुझे मेरे समाज का हित देखना है। सोमवार (29 जुलाई) को निर्णय लिया जाएगा।
मनोज जरांगे ने कहा कि ये समझना जरूरी है कि लोगों में आक्रोश, गुस्से की लहर इतनी तेज क्यों है। मराठा कुनबी एक ही है, आप जानबूझकर मराठों के साथ अन्याय कर रहे हैं। सारथी की कौन सी सहूलियतें हमें मिलती हैं? ऐसा कहते हुए उन्होंने कहा कि सरकार को पता होना चाहिए कि मराठों को ओबीसी से आरक्षण देने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। इसलिए मराठों के आरक्षण का संतोषजनक समाधान निकाला जाना चाहिए, लेकिन यदि आप इससे बहुत ज्यादा बचने की कोशिश करेंगे तो परिणाम अलग दिशा में जाएंगे। इसलिए लोगों के आक्रोश और गुस्से की वजह को समझना जरूरी है।
मनोज जरांगे पाटिल ने कहा कि मेरे लिए शरद पवार क्या कहते हैं उससे ज्यादा महत्वपूर्ण है कि मेरा दिल और मेरे विचार क्या कहते हैं। सरकार में मराठों की दी हुई सत्ता से गर्व उत्पन्न हो गया है। लेकिन घमंड कभी भी बहुत ज्यादा दिनों तक नहीं टिकता है, एक-न-एक दिन टूटता ही है। लोकसभा में जो हुआ, उससे 5 गुना ज्यादा विधानसभा में होगा। ऐसी चुनौती देते हुए उन्होंने कहा कि विधानसभा का दरवाजा इन्होंने अंदर से बंद कर लिया है, इसे खोलना होगा।’
मनोज ने कहा कि मेरी एक ईमानदार सोच है कि मराठों का कल्याण हो, लिंगायत, धनगर, मुस्लिम समाज का भी कल्याण हो। बारा बलुतेदार एक अलग श्रेणी की मांग कर रहे हैं। हम अपने रुख पर कायम हैं। नतीजा कुछ भी हो, सभी जातियों को आरक्षण मिलना चाहिए। इसलिए यदि जरूरत पड़ी तो सभी को एक साथ आकर विधानसभा जाने की तैयारी करनी चाहिए।