
जालना म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन (सोर्स: सोशल मीडिया)
Jalna Luxury Car Scam: रिश्वत मामले में जेल में बंद जालना मनपा के पूर्व आयुक्त संतोष खांडेकर पर अब करोड़ों रुपये के नए वित्तीय घोटाले का गंभीर आरोप सामने आया है। जांच में पता चला है कि आयुक्त के कार्यकाल में एक निजी ट्रैवल्स एजेंसी की लग्जरी गाड़ियों को बिना किसी अनुमति व आवश्यक परिवहन परमिट के सरकारी किराए के वाहन बताकर मनपा में लगाकर उसके जरिए कई वर्षों तक भारी वित्तीय अनियमितताएं की गई।
यही नहीं, इन निजी गाड़ियों पर उन संकेतक लाइटों (फ्लैशर) का उपयोग किया गया जो केवल जिलाधीश, पुलिस अधीक्षक, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों व परिवहन विभाग की सरकारी गाड़ियों के लिए आरक्षित हैं। इसे गंभीर दंडनीय अपराध माना जा रहा है।
सूचना के अधिकार के तहत समाज सेवक साद बिन मुबारक को जो जानकारी मिली है इसमें कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं जिनमें वाहन और डीजल घोटाला भी शामिल है। आयुक्त ने अपने निजी चालक शरद येवले की ट्रैवल्स एजेंसी के जरिए एक इनोवा, एक स्विफ्ट और 2 लग्जरी एमपीवी वाहनों को मनपा में किराए पर उपयोग के लिए लगाया।
इन वाहनों के लिए महीने-दर-महीने सरकार की राशि से भुगतान किया गया। प्रति वाहन 50 से 60,000 किराया व 75,000 से 1 लाख रुपए तक ईंधन खर्च दर्शाया गया। पिछले कई वर्षों में करोड़ों रुपए का भुगतान किया गया। समझा जाता है कि इन वाहनों को अनुबंध पर लगाने के लिए आवश्यक कानूनी औपचारिकताएं पूरी नहीं की गई।
सबसे गंभीर खुलासा यह है कि इन गाड़ियों में से एक वाहन को कागजों में जलापूर्ति परियोजना की पाइप लाइन निगरानी के लिए उपयोग किया दिखाया गया, लेकिन इसके लिए प्रशासन की ओर से कोई लिखित अनुमति आदेश उपलब्ध नहीं है। इसके बावजूद पूरा खर्च केवल आयुक्त के मौखिक निर्देश के आधार पर पास करने से घोटाले की आशंका है।
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सामाजिक कार्यकर्ता साद बीन मुबारक के अनुसार, जिस ट्रैवल्स एजेंसी को यह लाभमिला, उसके पास परिवहन विभाग के आवश्यक परमिट व वाणिज्यिक ऑपरेशन से संबंधित लाइसेंस तक उपलब्ध नहीं थे। इसके बावजूद वर्षों तक केवल उसी एजेंसी को वाहन सप्लाई का मौका दिया गया।
गाड़ियों पर लगी संकेतक लाइटें (नीली और लाल बीकन) केवल उच्च प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों की सरकारी गाड़ियों पर उपयोग के लिए आरक्षित हैं। निजी वाहन पर इनका उपयोग कर शहर में घूमना जन सुरक्षा से जुड़ा गंभीर उल्लंघन है, जिसके लिए कठोर दंड का प्रावधान है। आरोप है कि इन्हें मनपा के अधिकार और प्रभाव दिखाने व चेकिंग से बचने के लिए उपयोग किया गया।






