
प्रतीकात्मक तस्वीर (सोर्स:सोशल मीडिया)
Chhatrapati Sambhajinagar Jalna DPC News: छत्रपति संभाजीनगर जालना जिला नियोजन समिति की बैठक में विभिन्न काम करते समय ई-टेंडरिंग से बचने के लिए 70 करोड़ रुपए के कार्यों को 10-10 लाख रुपए में बांटा गया था। पालक मंत्री पंकजा मुंडे ने स्वीकृत किए कार्यों के पत्रों को अंतरिम स्थगन देने के साथ ही प्रतिवादियों को नोटिस जारी करने का आदेश बॉम्बे उच्च न्यायालय के औरंगाबाद खंडपीठ के न्या। विभा कंकणवाड़ी व न्या हितेन वेणेगांवकर ने दिया है।
जालना जिले में 70 करोड़ रुपए के विकास कार्य साकार करते समय उन्हें 10-10 लाख रुपए में विभाजित किया गया था। इसके खिलाफ अनिरुद्ध शेलके ने एड। एसएस रणदिवे के जरिए जनहित याचिका दाखिल कर चुनौती दी है। उन्होंने दलील दी कि 10-10 लाख रुपए में काम विभाजित किए जाने से महाराष्ट्र जिला योजना समिति (संविधान व कार्य) कानून, 1998 के प्रावधान व कुछ सरकारी प्रस्तावों का उल्लंघन हुआ है।
निविदा जारी करने बाबत सरकार के मार्गदर्शक तत्व है। यही नहीं, कई प्रस्ताव भी मंजूर किए गए है। इसके साथ ही प्रकल्पों के ई-टेंडरिंग से बचने के लिए काम विभाजित करने का आरोप याचिका में लगाया गया है। समझा जाता है कि इस बारे में पालक मंत्री पंकजा मुंडे ने 18 सितंबर, 2025 को जिलाधिकारी को 7 अलग-अलग पत्र सौंपे थे। इसे अनिरुद्ध शेलके ने चुनौती दी है।
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जालना तहसील के बाथन खुर्द स्थित दुधना नदी में बाढ़ आने के बाद क्षति को टालने के लिए 50 लाख रुपए के दीवार कार्य को पांच तुकड़ों में विभाजित किया गया था। उस मामले का न्यायालय ने अवलोकन किया। सुनवाई के बाद खंडपीठ ने पालक मंत्री मुंडे के सात पत्रों के तहत काम करने की प्रक्रिया को अंतरिम स्थगिति देकर प्रतिवादियों को नोटिस जारी किए गए हैं। याचिकाकर्ताओं की ओर से एड। सचिन रणदिवे ने पैरवी की। उन्हें पांडुरंग बोंदर, एड। अजय सानप ने सहयोग किया।






