हाईकोर्ट (सौ. Navabharat )
Nagpur News: जिन बस ऑपरेटर्स के पास आल इंडिया परमिट है; उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं करने को लेकर 2 और 3 जुलाई 2025 को राज्य के डीजीपी की ओर से आदेश जारी किया गया था।
इसके बावजूद पुलिस विभाग की ओर से बस ऑपरेटर्स के खिलाफ लगातार कार्रवाई की जा रही है। यहां तक कि डीसीपी ट्रैफिक की ओर से इसे लेकर अलग से आदेश जारी किया गया। यह आदेश न केवल अवैध है बल्कि कानून की नजरों में गैरकानूनी और ऑपरेटर्स के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करने वाला है। अत: डीसीपी ट्रैफिक के आदेश पर रोक लगाने की मांग करते हुए बस ऑपरेटर्स की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई।
इस याचिका पर बुधवार को सुनवाई के बाद न्यायाधीश अनिल किल्लोर और न्यायाधीश अजित काडेठाणकर ने राज्य सरकार, सीपी, डीसीपी ट्रैफिक, मनपा आयुक्त, जिलाधिकारी, विभागीय आयुक्त, आरटीओ को नोटिस जारी कर 2 दिनों में जवाब दायर करने के आदेश दिए। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता तुषार मंडलेकर ने पैरवी की।
ऑपरेटर्स की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता मंडलेकर ने कहा कि पुलिस विभाग ने गैरकानूनी ढंग से मनपा की सीमा क्षेत्र के भीतर इनर रिंग रोड पर यात्रियों को लेने और उन्हें छोड़ने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है। उन्होंने दावा किया कि डीसीपी ट्रैफिक का 12 अगस्त, 2025 का नोटिफिकेशन मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 117 और महाराष्ट्र मोटर वाहन नियम, 1989 के नियम 110 का उल्लंघन करता है। डीसीपी ट्रैफिक के पास पार्किंग या हॉल्टिंग स्थान निर्धारित करने का कोई अधिकार नहीं है क्योंकि यह अधिकार क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकरण यानी आरटीए के पास है।
याचिका में कहा गया है कि यह आदेश भेदभावपूर्ण है और भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता), 19(1)(जी) और 21 (जीवन का अधिकार) का उल्लंघन करता है। याचिकाकर्ताओं ने बताया कि डीसीपी ट्रैफिक ने राज्य के स्वामित्व वाली बसों जैसे एमएसआरटीसी और एनएमसी की बसों को छूट दी है जबकि उनका आकार और स्वरूप निजी बसों जैसा ही है जो समान यातायात भीड़ पैदा कर सकती हैं। यह आदेश एमएसआरटीसी के व्यापार को बढ़ावा देने और निजी बस ऑपरेटर्स को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से जारी किया गया।
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याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि मनपा आयुक्त और आरटीओ महाराष्ट्र नगर निगम अधिनियम, 1949 की धारा 243-ए और महाराष्ट्र मोटर वाहन नियम, 1989 के नियम 110 और 132 के तहत निजी बस ऑपरेटर्स के लिए निर्धारित पार्किंग स्थल या बस स्टॉप प्रदान करने में विफल रहे हैं। ट्रैवल्स एसोसिएशन ऑफ नागपुर ने इन सुविधाओं की मांग के लिए कई बार आवेदन किया। यहां तक कि प्रतिनिधिमंडल के साथ चर्चा भी हुई। इसके अतिरिक्त परिवहन आयुक्त और डीजीपी (परिवहन) ने 2 और 3 जुलाई, 2025 को पहले ही आदेश जारी कर दिए थे जिसमें सभी परिवहन अधिकारियों और पुलिस अधिकारियों को शहर की सीमा के भीतर निजी बस ऑपरेटर्स के खिलाफ कोई कार्रवाई करने से रोका गया था। याचिकाकर्ताओं ने डीसीपी ट्रैफिक के 12 अगस्त, 2025 के आदेश को रद्द करने और मनपा व आरटीओ को 3 महीने के भीतर निजी बस ऑपरेटर्स के लिए पार्किंग स्थल, बस स्टॉप और पिक-अप पॉइंट की पहचान करने और घोषित करने का निर्देश देने का अनुरोध कोर्ट से किया।