बेमौसम बारिश से तेंदूपत्ता संकलन प्रभावित। (सौजन्यः सोशल मीडिया)
गोंदिया: जिले का अधिकांश क्षेत्र घने जंगल से घिरा हुआ है। जंगल से लगे गांव के निवासी वर्तमान में तेंदूपत्ता तोड़कर उसके पुडे बनाकर मौसमी रोजगार प्राप्त कर रहे हैं। गर्मियों में खेती का कोई काम नहीं होने के कारण उन्हें यह रोजगार मिला है। फिलहाल स्कूलों में छुट्टियां चल रही हैं, परिवार के बड़े-बुजुर्गों के साथ बच्चे भी तेंदूपत्ता के पुडे बनाने में मदद कर रहे हैं। हर साल गर्मी शुरू होते ही जंगलों में तेंदूपत्ता तोड़ने का मौसम शुरू हो जाता है।
अप्रैल से जून के बीच तेंदूपत्तों को एकत्र कर उसके पुडे बनाए जाते हैं। इस मौसम में बूढ़े, महिलाएं, युवा, बच्चे सहित पूरा परिवार पत्तों को सूखाने, चुनने और उसके पुडे बनाने में लगा रहता है। सुबह-सुबह जंगल जाकर पत्ते तोड़ना, दिन भर छाया में बैठकर उन्हें सूखाना लगभग हर परिवार की दिनचर्या होती है। यही कारण है कि तेंदूपत्ता को ग्रामीण क्षेत्रों में ‘हरित मुद्रा’ माना जाता है। तेंदूपत्ता व्यवसाय समग्र रोजगार सृजन और महिलाओं की भागीदारी के मामले में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
तेंदूपत्ता सीजन के दौरान महिलाओं की भागीदारी महत्वपूर्ण है। ग्रामीण महिलाओं को घर पर रहकर भी काम मिलता है। तेंदूपत्ता तोड़ना रोजगार गारंटी योजना जैसी योजनाओं का पूरक है। गर्मी के दिनों में कृषि कार्य बंद हो जाता है। ऐसे में तेंदूपत्ता व्यवसाय से होने वाली आय एक बड़ी मदद बन जाती है। तेंदूपत्ता सीजन से कई परिवारों का उत्थान हुआ है।
बेमौसम बारिश से तेंदूपत्ता पर बीमारी लगने की आशंका को देखते हुए मजदूर चिंता में घिरे हुए हैं। इस साल बेमौसम बारिश ने तेंदूपत्ता के मौसम को प्रभावित किया है। पिछले कुछ दिनों से हो रही बेमौसम बारिश से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। बारिश के कारण तेंदूपत्ता सीजन में देरी हुई है। इसलिए अनुमान है कि हर साल की तुलना में इस साल तेंदूपत्ता का संग्रहण कम होगा।
इससे रोजगार पर भी असर पड़ने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है। मई के दूसरे या तीसरे सप्ताह से तेंदूपत्ता का मौसम शुरू हो जाता है। मई के पहले सप्ताह में ही बिक्री की प्रक्रिया पूरी कर ली जाती है। बारिश से तेंदूपत्ता बढ़ नहीं पाया है। साथ ही पत्तों में मावे जैसे रोग की भी संभावना है। ऐसा होने पर टेंडर की गुणवत्ता खराब हो जाती है।