कुओं में सुरक्षा दीवार की कमी (सौजन्य-नवभारत)
Gondia Wildlife Deaths: गोंदिया वन विभाग ने वित्तीय वर्ष 2013-14 से कुओं पर सुरक्षा दीवार लगाने की योजना लागू की है। वन विभाग की नीति के अनुसार, कृषि सिंचाई कुओं पर सुरक्षा दीवार स्थापित करने का लक्ष्य था। लेकिन इतने वर्ष बीत जाने के बाद भी देखने में आ रहा है कि वन विभाग द्वारा यह योजना केवल कागजों पर ही क्रियान्वित की जा रही है।
साथ ही वन विभाग डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी जन वन विकास योजना के तहत ऐसे कुओं पर सुरक्षा दीवार बनाने का उद्देश्य देते हुए वन विभाग कार्यालय के अंतर्गत बीटवार जंगलों से सटे सिंचाई कुओं की सूची तैयार करने का निर्देश दिया गया। लेकिन 50 प्रतिशत बना हुआ दिखाकर केवल खानापूर्ति की जा रही है।
वास्तविक में यह 5 प्रतिशत भी नहीं बना रहता है। इस मामले की विभागीय जांच कराने की मांग ग्रामीणों ने स्थानीय प्रशासन व वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों से की है। इस योजना को कितने प्रभावी ढंग से क्रियान्वित किया गया। वन विभाग के तहत हर साल किसानों के खेतों में सिंचाई कुओं की जानकारी मांगी जाती है। लेकिन कुएं पर मुंढेर नहीं बनाया जाता है।
इसके कारण कई जंगली जानवरों के मरने की घटनाएं सामने आई हैं। लेकिन वन विभाग के माध्यम से मृत वन्य प्राणियों का पंजीयन कर उन्हें नष्ट कर दिया जाता है। इसके विपरीत जंगली जानवरों की जान बचाने के लिए कोई प्रयास नहीं किया जाता।
उल्लेखनीय है कि सड़क अर्जुनी वन परिक्षेत्र अंतर्गत सौंदड़, सिंदीबिरी, घाटबोरी, मुंडीपार, खोडशिवनी, घटेगांव, गिरोला, हेटी, जांभडी, दोडके, शेंडा, पिपरी, कनेरी, कोकना, खोबा, कोसमघाट, डुग्गीपार, खड़की बाम्हनी, कोसमतोंडी, कोहमारा, डोंगरगांव डिपो, रेंगेपार वन क्षेत्र के निकटवर्ती क्षेत्रों में बगैर सुरक्षा दीवार वाले कुओं की संख्या अधिक है।
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जिससे इन गांवों में वन्यजीवों की मृत्यु दर अधिक है। परिणामस्वरूप उन कुओं में वन्यजीवों के गिरकर मरने की घटनाएं होती रहती हैं। किसान वन क्षेत्रों से सटे खेतों में सिंचाई के लिए कुओं का निर्माण करते हैं। लेकिन उनमें सुरक्षा दीवार नहीं होती। सुरक्षा दीवार जमीन से एक मीटर की ऊंचाई पर होना चाहिए। लेकिन किसान सिंचाई कुएं की मुंढेर (सुरक्षा दीवार) नहीं बनाते। इसके कारण कई तरह की दुर्घटनाएं होती रहती हैं।