(कॉन्सेप्ट फोटो)
Ladki Bahin Yojana Verification: ‘मुख्यमंत्री मेरी लाडली बहना योजना’ के लाभार्थियों का पुनर्सत्यापन करने के मौखिक आदेश से आंगनवाड़ी सेविकाओं में नाराजगी बढ़ गई है। गोंदिया सहित पूरे महाराष्ट्र में आंगनवाड़ी सेविकाएं इस काम को करने से इनकार कर रही हैं और इसके विरोध में आंदोलन कर रही हैं। उनका आरोप है कि उन पर पहले से ही कई तरह के कामों का बोझ है और इस नए काम से उनके मूल कार्य प्रभावित होंगे।
राज्य की महायुति सरकार ने ‘लाडली बहन योजना’ में कथित रूप से शामिल फर्जी लाभार्थियों पर लगाम लगाने के लिए पुनर्सत्यापन का फैसला किया है। इसके लिए कुछ नए मानदंड तय किए गए हैं। इन मानदंडों पर खरा उतरने वाली महिलाओं को ही इस योजना का लाभ मिलेगा। बाल विकास अधिकारियों ने आंगनवाड़ी सेविकाओं को मौखिक रूप से इस काम में लगाया है। उन्हें लाभार्थियों के राशन कार्ड, पते, मोबाइल नंबर और एक ही परिवार से दो से अधिक लाभार्थियों की जानकारी जुटाने का काम सौंपा गया है।
आंगनवाड़ी सेविकाओं का कहना है कि वे इस तरह के किसी भी अतिरिक्त काम को करने के लिए तैयार नहीं हैं। उनका विरोध इन बातों पर आधारित है।
अतिरिक्त कार्य का बोझ: आंगनवाड़ी सेविकाओं का काम समय निर्धारित है (साढ़े पांच घंटे)। वे बच्चों को भोजन, पूर्व-प्राथमिक शिक्षा देने, गर्भवती महिलाओं और किशोरियों का मार्गदर्शन करने जैसे महत्वपूर्ण काम करती हैं। इस तरह के अतिरिक्त काम से उनके मूल कार्य की उपेक्षा हो रही है।
केन्द्रीय आदेश का हवाला: केंद्र सरकार ने समय-समय पर स्पष्ट निर्देश दिया है कि आंगनवाड़ी सेविकाओं को उनके एकीकृत बाल विकास विभाग के अलावा कोई अन्य कार्य न सौंपा जाए। इस आदेश का हवाला देते हुए सेविकाएं पुनर्सत्यापन का काम करने से मना कर रही हैं।
दोष का डर: सेविकाओं को डर है कि अगर पुनर्सत्यापन के दौरान किसी पात्र लाभार्थी का नाम गलती से छूट जाता है, तो उन पर गाज गिर सकती है।
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आयटक (AITUC) के राज्य उपाध्यक्ष हौसलाल रहांगडाले ने भी इस मुद्दे पर आंगनवाड़ी सेविकाओं का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा लगातार उन पर विभिन्न कार्य थोपे जाने के कारण उनके मूल और महत्वपूर्ण कार्य की उपेक्षा हो रही है।
आंगनवाड़ी सेविकाओं का यह विरोध प्रदर्शन इस बात को उजागर करता है कि सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में जमीनी स्तर के कर्मचारियों पर कितना दबाव रहता है। यह देखना होगा कि सरकार इस समस्या का समाधान कैसे करती है ताकि लाभार्थियों का सत्यापन भी हो सके और आंगनवाड़ी सेविकाओं का काम भी प्रभावित न हो।