छत पर बैठे बंदर (फोटो नवभारत)
Gondia Monkey Terror: गोंदिया ग्रामीण क्षेत्र में आए दिन बंदरों की उछल कूद से ग्रामीण परेशान हैं। बंदरों के झुंड रोजाना जंगल से उतरकर गांवों में घुसकर धमाचौकड़ी मचाने से नहीं चूकते। अब उनके आहार के लिए खाने की चीजों के तैयार होने का समय आ गया है। लोगों ने खेतो में ही नहीं तो बाड़यों में भी सब्जियां उगाई है। ऐसे में तो उनका आतंक और भी बढ़ गया है। जो खेतों और बाड़ी में उक्त चीजों को कच्चे में ही नोचकर चट करते देखे जा रहे हैं।
सब्जी उत्पादक किसानों को सर्वाधिक नुकसान पहुंचा रहे है। खेत और बाड़ियों में सब्जी की फसल को नुकसान पहुंचाने के साथ ही खपरैलयुक्त मकानों में कूद-कूदकर जर्जर करते हैं और जरा सी आहट पर ग्रामिणों की खपरैल छतों पर चढ़कर उछलकूद मचाते हुए दौड़ लगा देते हैं। ग्रामीण अपनी आंखों के सामने अपने नुकसान को देखते रह जाते हैं।
इन दिनों बंदरों द्वारा खपरैल मकानों में इतना आतंक मचाया गया है कि कवेलू को चूर-चूर करने तथा घरों पर डाली गई पाल को फाड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। यदि जरा सी भी बारिश हो जाए तो शायद ही किसी गरीब की खपरैल छत से पानी घर के अंदर प्रवेश न करें।
वहीं गोंदिया के ग्रामीण इलाकों के किसान भी अब इन दिनों तैयार हो रही फसल को इनके द्वारा नुकसान न पहुंचाएं जाने के जुगाड़ में तरह-तरह के विकल्प अपनाने के लिए विवश देखने मिलते हैं।
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बंदर हमेशा पानी व भोजन की वजह से गांवों की ओर आते है। लेकीन बरसात के मौसम में जंगल में भरपुर पानी व खाने की चिजे होने के बावजुद भी बंदरों का रुख गांवों की ओर होने की वजह से ग्रामीण परेशान है।
बंदरों की वजह से हो रहे नुकसान की शिकायत किससे करें, यह सवाल ग्रामीणों के मन में उठ रहे है। लोगों ने वन विभाग से बंदरों का उचित बंदोबस्त करने की मांग की है।