कॉन्सेप्ट फोटो (सोर्स: सोशल मीडिया)
Gondia Municipal Council Ward Delimitation Controversy: बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने शुक्रवार को गोंदिया नगर परिषद चुनाव-2025 के लिए किए गए वार्ड सीमा निर्धारण (डिलिमिटेशन) प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया है। यह याचिका गोंदिया के समाजसेवी व पूर्व पार्षद शकील हमीद मंसूरी द्वारा दायर की गई है।
न्यायमूर्ति एएल पंसारे और न्यायमूर्ति वायजी खोबरागड़े की खंडपीठ ने राज्य सरकार, राज्य निर्वाचन आयोग और जिलाधीश गोंदिया सहित अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया है। अगली सुनवाई 15 अक्टूबर 2025 को होगी।
याचिकाकर्ता शकील मंसूरी ने अपनी याचिका में कहा कि महाराष्ट्र नगर परिषद, नगर पंचायत तथा औद्योगिक नगर अधिनियम, 1965 की धारा 10(1)(A) के तहत वार्ड आपत्तियों पर निर्णय लेने का अधिकार केवल निर्वाचन आयोग को है, जिसे किसी अन्य अधिकारी को नहीं सौंपा जा सकता।
मंसूरी ने आरोप लगाया कि वार्ड सीमा निर्धारण के दौरान एन्यूमरेशन ब्लॉक क्रमांक 98, जिसमें शहर का मुख्य बाजार और कई विद्यालय शामिल हैं, को मनमाने तरीके से दूसरे वार्ड में शामिल किया गया, जो 10 जून 2025 के चुनाव आदेश के विपरीत है।
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मंसूरी की याचिका में कहा गया है कि इस बदलाव से मतदाताओं और प्रशासनिक प्रक्रिया पर प्रतिकूल असर पड़ेगा और यह वार्ड विभाजन विधिक रूप से चुनौतीपूर्ण है।
याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आर. एल. खापरे और अधिवक्ता वेदांत पांडे न्यायालय में उपस्थित हुए और उन्होंने अपने तर्क प्रस्तुत किए। अदालत ने सभी प्रतिवादियों को नोटिस जारी करते हुए उन्हें मामले में जवाब दाखिल करने का आदेश दिया।
विशेषज्ञों के अनुसार, यह मामला आगामी नगर परिषद चुनावों की तैयारियों और मतदाता प्रभावित करने वाली वार्ड सीमा निर्धारण प्रक्रिया के लिए अहम साबित हो सकता है। याचिका का फैसला न केवल गोंदिया नगर परिषद चुनाव के लिए बल्कि भविष्य में अन्य नगरपालिकाओं में डिलिमिटेशन प्रक्रिया की कानूनी सीमाओं को तय करने के लिहाज से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।