गोंदिया. जिला परिषद के शिक्षा विभाग को डिजिटल शाला के नाम से वाहवाही मिली थी. इसके बावजूद जिप शालाओं की वर्तमान तस्वीर से शिक्षा विभाग की कलई खुल गई है. जिले की गोरेगांव पंस अंतर्गत कन्हारटोला (पिंडकेपार) स्थित जिप डिजिटल शाला एक झोपडी में लग रही है. तंत्रज्ञान के युग में और 21वीं सदी में भी विद्यार्थी भौतिक सुविधा के लिए तरस रहे है. जबकि जिप का शिक्षा विभाग वाहवाही लूटने में लगा है. इस सब के चलते विद्यार्थियों का शैक्षणिक नुकसान हो रहा है. इसके लिए स्वयं शिक्षा विभाग की जिम्मेदार है. जिले में जिप के शिक्षा विभाग के मातहत चलने वाली प्राथमिक शालाओं को डिजिटल शालाओं का स्वरूप दिया गया है.
जिले की सभी शालाओं के प्रवेश द्वारा पर जिप डिजिटल शाला के फलक लगाए गए है. विशेष बात यह है कि इस उपक्रम के नाम पर जिप के शिक्षा विभाग की शासन ने सराहना भी की है. लेकिन प्रत्यक्ष में वास्तविकता कुछ और ही है. अधिकांश डिजिटल शालाओं में भौतिक सुविधा सहित डिजिटल सेवा उपलब्ध नही है. कुछ शालाओं की विद्युत पूर्ति खंडित है. जिससे शालाओं में डिजिटल की जानकारी नही मिल रही है.
इसका उदाहरण गोरेगांव पंस अंतर्गत पिंडकेपार ग्रापं की कन्हारटोला इस ग्राम की जिप डिजिटल प्राथमिक शाला है. कन्हारटोला स्थित डिजिटल शाला कक्षा पहली से चौथी तक है. इसमें 14 विद्यार्थी शिक्षा ले रहे है. लेकिन शाला की इमारत पुर्णत: जीर्ण होने से अब शाला एक झोपडीनुमा घर में लगाई जा रही है. इस तरह की शाला से किसी भी प्रकार का शैक्षणिक वातावरण निर्माण नही हो रहा है. यह विद्यार्थियों के भविष्य के साथ एक तरह का मजाक है. इसके बावजूद स्वयं शिक्षा विभाग ही ओर दुर्लक्ष कर रहा है. जिले की शालाओं को मिले डिजिटल की पहचान पर भी संकट निर्मित हो रहा है.
जिप एक ओर जहां डिजिटल शालाओं की वाहवाही कर रही है वहीं दुसरी ओर अनेक शालाओं में कक्षाएं टूट फूट हो गई है. इसमें कुछ शालाओं में नई इमारत निर्माण कार्य को मंजूरी दी गई है. इसके बाद भी जीर्ण होने वाली कक्षाएं जमीनदोज होने के मार्ग पर है.