गौरी लंकेश व श्रीकांत पांगारकर (सोर्स: सोशल मीडिया)
मुंबई: महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है। कई नेता पाला बदलने में लगे हुए हैं। कुछ आपराधिक पृष्ठभूमि वाले लोग भी राजनीतिक दलों में शामिल होकर अपने आप को बचाने का प्रयास करते हैं। हाल ही में गौरी लंकेश हत्याकांड के आरोपी श्रीकांत पांगारकर शुक्रवार को पूर्व मंत्री अर्जुन खोतकर की उपस्थिति में मुख्यमंत्री के नेतृत्व वाली शिवसेना में शामिल हुए थे, और पांगारकर को चुनाव प्रचार समिति अभियान का हिस्सा बनाने की खबर सामने आई थी। लेकिन पार्टी ने अब इससे पल्ला झाड़ते हुए पांगारकर को कोई पद न देने की बात कही है।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने 2017 में हुई पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या के आरोपी श्रीकांत पांगारकर को जालना जिले में कोई पद देने पर रोक लगा दी है। शुक्रवार को पूर्व मंत्री अर्जुन खोतकर की उपस्थिति में पांगारकर शिवसेना में शामिल हुए थे।
इस दौरान खोतकर ने कहा था कि ‘‘पांगारकर पूर्व शिवसैनिक हैं और पार्टी में वापस आ गए हैं। उन्हें जालना विधानसभा चुनाव प्रचार अभियान का प्रमुख नामित किया गया है।” रविवार को एक बयान जारी कर शिवसेना ने कहा कि पांगारकर को जालना जिले में पार्टी का कोई पद देने पर अब तक फैसला नहीं किया गया है।
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बता दें कि पत्रकार गौरी लंकेश की 5 सितंबर 2017 को कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु स्थित उनके आवास के सामने गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। महाराष्ट्र की एजेंसियों की सहायता से कर्नाटक पुलिस ने पूरे प्रकरण की जांच की थी और कई लोगों को गिरफ्तार किया गया था।
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श्रीकांत पांगारकर 2001 से 2006 तक जालना नगरपालिका के पार्षद रहे। उन्हें अगस्त 2018 में गौरी लंकेश की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया था और 4 सितंबर 2024 को कर्नाटक उच्च न्यायालय ने उन्हें जमानत दी थी।
अविभाजित शिवसेना द्वारा 2011 में टिकट नहीं दिए जाने पर श्रीकांत पांगारकर दक्षिणपंथी हिंदू जनजागृति समिति में शामिल हो गए थे। खोतकर कहा था कि वह जालना विधानसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं लेकिन महायुति में सीट बंटवारे पर चर्चा चल रही है।