धरने पर बैठे ग्रामीण (सोर्स: सोशल मीडिया)
Gadchiroli Kasansur Electricity Problems: गड़चिरोली जिले की एटापल्ली तहसील अंतर्गत आने वाले कसनसूर समेत परिसर के करीब 70 से 80 गांवों में अनियमित बिजली आपूर्ति होने के कारण पिछले अनेक वर्षों से परिसर के नागरिकों को अंधेरे में जीवनयापन करना पड़ रहा है।
कुछ वर्ष पहले कसनसूर गांव में बिजली उपकेंद्र मंजूर होने के बाद ग्रामीणों में बिजली की समस्या से राहत मिलेगी, ऐसी उम्मीद जगी थी। लेकिन अब तक उपकेंद्र का कार्य शुरू नहीं होने से ग्रामीणों को बिजली की समस्या का सामना करना पड़ रहा है।
इस संदर्भ में अनेक बार परिसर के नागरिकों ने महावितरण का ध्यानाकर्षण कराकर बिजली उपकेंद्र का कार्य तत्काल शुरू करने की मांग की थी। लेकिन जनप्रतिनिधि और महावितरण की अनदेखी होने के कारण बिजली उपकेंद्र का कार्य शुरू नहीं हो पाया।
आखिकार गुस्साए ग्रामीणों ने बुधवार को कसनसूर गांव में रास्ता रोको आंदोलन कर जनप्रतिनिधि और महावितरण का ध्यानाकर्षण कराया।
इस आंदोलन में वेनहारा इलाका और रोपी बरसा इलाका के सैकड़ों नागरिक उपस्थित थे। आंदोलन का नेतृत्व कोतुराम पोटावी, देवीदास मट्टामी, कसनसूर की सरपंच कमला हेडो, विलास कोंदामी, नितिन पदा, सुधाकर गोटा, राजू गोमाडी, सुनील मडावी आदि ने किया।
कसनसूर में 6 वर्ष पहले बिजली उपकेंद्र मंजूर किया गया। वहीं सर्वे क्रमांक 146/1 जगह पर बिजली उपकेंद्र के लिए जगह उपलब्ध है। लेकिन बिजली उपकेंद्र का कार्य अब तक शुरू नहीं किया गया है। कसनसूर में एटापल्ली तहसील मुख्यालय से बिजली आपूर्ति की जा रही है।
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कसनसूर इलाका घने जंगल से घिरा हुआ है। ऐसे में बारिश के दिनों में आंधी-तूफान के कारण बार-बार बिजली आपूर्ति बंद होती है। जिसके कारण संपूर्ण परिसर में अंधेरा छा जाता है। बार-बार बिजली आपूर्ति बंद होने के कारण परिसर के नागरिकों का जीवनयापन करना मुश्किल हो गया है। जिससे तत्काल बिजली उपकेंद्र का कार्य शुरू करने पर तीव्र आंदोलन छेड़ा जाएगा, ऐसी चेतावनी आंदोलनकर्ताओं ने दी है।
पिछले अनेक वर्षों से जनप्रतिनिधि परिसर के नागरिकों को केवल आश्वासन की खैरात बांट रहे है। लेकिन प्रत्यक्ष रूप में किसी भी तरह की उपाययोजना नहीं की जा रही है। जनप्रतिनिधियों की अनदेखी के कारण परिसर के नागरिकों को बिजली की समस्या से जूझना पड़ रहा है।
बिजली उपकेंद्र का कार्य शुरू करने संदर्भ में अनेक बार जनप्रतिनिधियों का ध्यानाकर्षण कराया गया। बाजवूद इसके जनप्रतिनिधियों की अनदेखी के कारण परिसर के नागरिकों को अंधेरे का सामना करना पड़ रहा है। जिससे आंदोलनकर्ताओं ने जनप्रतिनिधियों के कार्य पर तीव्र रोष व्यक्त किया है।