गड़चिरोली जिला परिषद (फोटो नवभारत)
Gadchiroli ZP President Seat Reservation: महाराष्ट्र की जिला परिषदों के आगामी चुनाव के लिए शुक्रवार को आरक्षण की घोषणा की गई, जिसमें गड़चिरोली जिला परिषद अध्यक्ष पद की कुर्सी सामान्य वर्ग की महिला के लिए आरक्षित की गई है। इस फैसले के बाद जिले की राजनीति में नई हलचल शुरू हो गई है।
पिछले कुछ वर्षों से स्थानीय निकायों के चुनाव न होने पर प्रशासन की कार्यशैली को लेकर नाराजगी जताई जा रही थी। जिला परिषद और पंचायत समितियों में निर्वाचित प्रतिनिधि न होने से विकास कार्य प्रभावित होने का आरोप विपक्ष की ओर से लगाया जा रहा था। अब चुनाव आयोग की ओर से चुनाव की घोषणा के बाद आरक्षण घोषित होते ही जिले का राजनीतिक वातावरण गरमा गया है।
कांग्रेस की रणनीति ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में पारंपरिक गढ़ चामोर्शी, एटापल्ली और कोरची को मजबूत बनाए रखने की रहेगी। आदिवासी महिला नेतृत्व को आगे कर भरोसा जीतने की कोशिश होगी। वहीं, शहरी इलाकों आरमोरी, गड़चिरोली और धानोरा में जीत हासिल कर अध्यक्ष पद पर दावा मजबूत करने की योजना बनाई जा रही है।
भाजपा का जोर युवा और शिक्षित महिला उम्मीदवारों पर रहेगा। पार्टी की रणनीति शहरी क्षेत्रों में महिला उम्मीदवारों को उतारकर मतदाताओं को आकर्षित करने और जिला परिषद पर कब्जा जमाने की होगी। शिवसेना के दोनों गुट अहेरी, कुरखेड़ा और गड़चिरोली तालुकों में स्थानीय महिला कार्यकर्ताओं को उम्मीदवार बनाकर स्वतंत्र प्रभाव दिखाने की तैयारी कर रहे हैं।
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राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) का विभिन्न हिस्सों में अच्छा आधार है। कांग्रेस के साथ गठबंधन करके कुछ तालुकों में सीटें हासिल करने की योजना बनाई जा रही है। वहीं, अजित पवार गुट भामरागड़ और अहेरी में स्थानीय समूहों से समझौता कर सीटें बढ़ाने की कोशिश करेगा। पिछले चुनाव में कांग्रेस ने ग्रामीण व आदिवासी पट्टे में बढ़त बनाई थी, जबकि भाजपा ने शहरी इलाकों में मजबूत प्रदर्शन किया था।
अध्यक्ष पद सामान्य वर्ग की महिला के लिए आरक्षित होने से अब उपयुक्त महिला उम्मीदवार तलाशने की होड़ तेज हो गई है। गड़चिरोली जिला परिषद में मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा में रहने की संभावना है, जबकि शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस ‘किंगमेकर’ की भूमिका निभा सकती हैं। स्थानीय गुटबाजी, समाज घटक और आदिवासी-गैरआदिवासी समीकरण अंतिम नतीजे तय करने में अहम साबित होंगे।