गड़चिरोली जिला परिषद (सोर्स: सोशल मीडिया)
Gadchiroli District Council Election Reservation: गड़चिरोली जिला परिषद के आगामी चुनावों की दिशा तय करने वाली आरक्षण सूची आखिरकार घोषित कर दी गई। सोमवार को जिला नियोजन समिति सभागृह में आयोजित विशेष बैठक में 51 जिला परिषद निर्वाचन क्षेत्रों के आरक्षण की घोषणा की गई। इस घोषणा के साथ ही जिले की राजनीति में हलचल मच गई है।
कई दिग्गज नेताओं की राजनीतिक जमीन खिसकती दिखाई दे रही है, तो कई नए चेहरे अवसर की तलाश में सक्रिय हो चुके हैं। इस बार घोषित आरक्षण सूची के अनुसार 51 में से 25 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित की गई हैं। यह अब तक का सबसे बड़ा महिला आरक्षण अनुपात माना जा रहा है।
अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, नामदार प्रवर्ग और सर्वसाधारण श्रेणी में महिलाओं को भरपूर प्रतिनिधित्व मिला है। इससे जिले की स्थानीय राजनीति में “महिला सशक्तिकरण” की नई लहर दिखाई देगी। अब तक पुरुष नेताओं का दबदबा रखने वाले कई तालुकों में महिलाएं पहली बार नेतृत्व की भूमिका निभाने जा रही हैं।
आरक्षण की यह प्रक्रिया महाराष्ट्र जिला परिषद व पंचायत समितियां (आरक्षण पद्धति व चक्रानुक्रम) नियम 2025 के अनुसार पार पड़ी। इस बैठक़ की अध्यक्षता जिलाधिकारी ने की, जबकि उपजिला निर्वाचन अधिकारी राहुल जाधव के मार्गदर्शन में आरक्षण ड्रा की प्रक्रिया संपन्न हुई।
इस मौके पर नायब तहसीलदार हेमंत मोहरे और सहायक राजस्व अधिकारी प्रशांत चिटमलवार उपस्थित थे। गड़चिरोली जिले के प्रमुख राजनितिक पदाधिकारी, इच्छुक उमेदवार और नागरिक बड़ी संख्या में इस ऐतिहासिक ड्रा के साक्षी बने। जिल्हा परिषद को ‘मिनी मंत्रालय’ कहा जाता है, ऐसे में इसके आरक्षण की दिशा और प्रभाव पर सबकी निगाहें टिकी थीं।
आरक्षण की घोषणा से पहले कई नेताओं ने संभावित क्षेत्रों में अपने संपर्क बढ़ाने शुरू कर दिए थे। कुछ ने तो प्रचार सामग्री तक तैयार कर रखी थी। मगर सोमवार को घोषित आरक्षण सूची ने कई अनुभवी नेताओं के समीकरण पूरी तरह बदल दिए।
जिन क्षेत्रों पर वर्षों से एक ही परिवार या गुट का वर्चस्व रहा है, वहां अब महिला आरक्षण लागू होने से समीकरण पूरी तरह नए सिरे से बनेंगे। कई दिग्गज नेताओं को अब अपने पारंपरिक गढ़ छोड़कर दूसरे क्षेत्रों में उतरने की मजबूरी होगी।
कोरची, एटापल्ली, भामरागड़ जैसी तहसील जहां अनुसूचित जनजाति जनसंख्या अधिक है, वहां अधिकांश सीटें अनुसूचित जनजाति एवं अनुसूचित जनजाति (महिला) प्रवर्ग में आरक्षित की गई हैं। कुरखेड़ा, देसाईगंज और आरमोरी जैसे तहसीलों में नामाप्र (महिला) और सर्वसाधारण महिला सीटों का अनुपात अधिक है।
चामोर्शी तहसील जो जिले की सबसे बड़ी राजनीतिक अखाड़ा मानी जाती है, वहां भी चार से अधिक सीटें महिला प्रवर्ग में आरक्षित हैं। वहीं, सिरोंचा तहसील में अनुसूचित जाति (महिला) को पर्याप्त प्रतिनिधित्व मिला है।
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राजनीति के जानकारों का मानना है कि आरक्षण महिला उम्मीदवारों के लिए नई ऊर्जा लेकर आया है। पिछले कुछ वर्षों से पंचायत समितियों और ग्राम पंचायतों में सक्रिय महिलाएं अब जिला स्तर पर अपनी पहचान बनाने की दिशा में कदम बढ़ा सकती हैं। गड़चिरोली जैसे जनजातीय और पिछड़े जिले में महिला नेतृत्व की यह बढ़ती भूमिका विकास की दिशा में एक सकारात्मक परिवर्तन मानी जा रही है।
आरक्षण के इस नए स्वरूप से कई वरिष्ठ नेता असहज नजर आ रहे हैं। जिन क्षेत्रों में उनका जनाधार मजबूत था, वह अब महिला आरक्षित हो चुके हैं। इससे उन्हें न केवल नए क्षेत्र तलाशने होंगे, बल्कि नए समीकरण भी साधने होंगे। कांग्रेस, भाजपा, एनसीपी और शिंदे शिवसेना सभी प्रमुख पक्षों में अब टिकट बंटवारे की नई गणित शुरू होने की संभावना है।
राजनीतिक पंडितों के अनुसार, इस बार चुनावी मैदान में नए चेहरे बड़ी संख्या में दिखाई देंगे। गड़चिरोली जिप के आरक्षण की घोषणा केवल चुनावी प्रक्रिया नहीं, बल्कि सामाजिक परिवर्तन का संकेत है।
जहां एक ओर महिला नेतृत्व के लिए नए अवसर खुल रहे हैं, वहीं अनुभवी नेताओं के लिए यह अपनी राजनीतिक रणनीति को नए सिरे से परिभाषित करने की घड़ी है। आगामी महीनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि जिले का आरक्षण ड्रा स्थानीय स्वराज्य के राजनीतिक समीकरणों को किस दिशा में मोड़ता है।