गड़चिरोली जिला परिषद (सोर्स: साेशल मीडिया)
गड़चिरोली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक महत्वपूर्ण निर्णय में राज्य चुनाव आयोग को चार सप्ताह के भीतर चुनाव कार्यक्रम घोषित करने और चार महीनों के भीतर चुनाव सम्पन्न करने का आदेश दिया है। इससे स्थानीय स्वशासन संस्थाओं के चुनाव का रास्ता अब साफ हो गया है। गड़चिरोली जिले में 1 जिला परिषद, 12 पंचायत समिति व 3 नगर परिषद के चुनाव होने वाले है।
यह आदेश 2022 से पूर्व की ओबीसी राजनीतिक आरक्षण व्यवस्था के आधार पर चुनाव कराने के लिए दिया गया है। इस निर्णय से पिछले कई वर्षों से अटके हुए स्थानीय स्वशासन संस्थाओं के चुनावों को गति मिलेगी। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के चलते अब महानगरपालिका, नगरपालिका, जिला परिषद और पंचायत समितियों के चुनाव शीघ्र होने की संभावना है।
पिछले कुछ वर्षों से ओबीसी आरक्षण, वार्ड संरचना और अन्य तकनीकी कारणों से ये चुनाव टलते आ रहे थे। इसके कारण कई स्थानीय स्वशासन संस्थाओं में प्रशासकों का शासन था, जिससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया प्रभावित हो रही थी। सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व में भी समय पर चुनाव कराने के निर्देश दिए थे, परंतु लंबित मामलों के कारण प्रक्रिया अटक गई थी।
न्यायालय ने राज्य सरकार और चुनाव आयोग से स्पष्ट शब्दों में कहा कि यदि चुनाव टालने का संतोषजनक कारण नहीं है, तो उन्हें तत्काल कराया जाए। इस आदेश को ‘आदेश-सह-निर्देश’ कहा जा रहा है, जिससे चुनाव आयोग पर तुरंत चुनाव प्रक्रिया शुरू करने की जिम्मेदारी आ गई है। राज्य चुनाव आयोग ने इस आदेश के बाद तैयारियां शुरू कर दी हैं।
आयोग जल्द ही वार्ड संरचना, मतदाता सूची का अद्यतन और चुनाव कार्यक्रम की तारिख घोषित करेगा। 2022 से पहले की ओबीसी आरक्षण व्यवस्था के अनुसार चुनाव कराने के निर्देश दिए गए हैं, जिससे आरक्षण विवादों से बचने की कोशिश की जाएगी। इसके कारण ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में स्थानीय स्वशासन संस्थाओं के चुनावों के लिए उत्साह का वातावरण है।
कांग्रेस के जिलाध्यक्ष महेंद्र ब्राम्हणवाडे ने कहा कि कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों के नेताओं ने सरकार से कई बार स्थानीय स्वशासन संस्थाओं के चुनाव कराने की मांग की थी। लेकिन इस मांग को बार-बार नजरअंदाज किया गया। अब न्यायालय के हस्तक्षेप से राजनीतिक दलों में भी नई ऊर्जा आई है। ये चुनाव विधानसभा और लोकसभा चुनावों की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माने जाते हैं, लेकिन युति सरकार ने इस मुद्दे पर गंभीरता नहीं दिखाई।
भाजपा नेता प्रमोद पिपरे ने कहा कि न्यायालय का निर्णय स्थानीय स्वशासन संस्थाओं में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को फिर से पटरी पर लाने के लिए महत्वपूर्ण है। पिछले कुछ वर्षों से चुनाव न होने के कारण कई स्थानों पर प्रशासनिक कामकाज पर स्थानीय जनप्रतिनिधियों का नियंत्रण नहीं था, जिससे विकास कार्यों पर भी असर पड़ा। अब चुनाव होकर जनप्रतिनिधि चुने जाएंगे, तो स्थानीय मुद्दों को अधिक प्रभावी रूप से सुलझाया जा सकेगा।
भाजपा जिलाध्यक्ष प्रशांत वाघरे ने कहा कि स्थानीय स्वशासन संस्थाओं के चुनाव के लिए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के प्रयास लगातार चल रहे थे, लेकिन ओबीसी आरक्षण का मामला न्यायालय में जाने से अड़चन आई। महा विकास आघाड़ी सरकार की गलती के कारण चुनाव टले। न्यायालय के निर्णय का स्वागत है। स्थानीय स्वशासन संस्था लोकतंत्र की नींव है। समय पर चुनाव होना लोकतंत्र की आवश्यकता है। केंद्र और राज्य सरकार द्वारा किए गए विकास कार्यों के बल पर भाजपा को इन चुनावों में निश्चित रूप से विजय मिलेगी।