उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे
मुंबई: महाराष्ट्र विधानमंडल के मानसून सत्र में सोमवार को उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को दो बार विपक्ष के फंदे फंस गए। उन्हें पहला झटका उनके नेतृत्ववाली महायुति सरकार के दौरान अहिल्या नगर में फर्जी सरकारी आदेश के सहारे किए गए फंड घोटाले के रूप में लगा था जबकि दूसरा झटका मौजूदा महायुति सरकार के दौरान उनकी पार्टी के मंत्री संजय शिरसाट के बेटे से संबंधित होटल विट्स सौदा मामले में लगा है।
मानसून सत्र के दौरान सोमवार को चौंकाने वाला खुलासा हुआ। 3 अक्टूबर 2024 को जारी किए गए ग्रामीण विकास विभाग (आरडीडी) के फर्जी सरकारी आदेश (जीआर) के आधार पर अहिल्यानगर के चार तालुकाओं (अहिल्यानगर, पारनेर, श्रीगोंदा और नेवासा) में कुल 45 विकास कार्य किए गए हैं। विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने से कुछ दिन पहले एक साजिश के तहत जारी किए गए कथित जीआर के आधार पर 6.94 करोड़ रुपए के विकास कार्य किए गए। लेकिन इस चौंकाने वाले खुलासे के बाद भुगतान पर रोक लगाकर विभागीय जांच के आदेश दिए गए हैं।
भुगतान के समय हुआ खुलासा
फर्जी जीआर के आधार पर जिला स्तर पर टेंडर जारी किए गए थे। इसके बाद करोड़ों रुपए के विकास कार्य भी किए गए। लेकिन जब काम करने वाले ठेकेदारों ने काम के बिल के भुगतान की मांग की और भुगतान की फाइल मंजूरी के लिए मंत्रालय में पहुंची। क्रॉस चेकिंग के दौरान सरकारी अधिकारियों ने वह सरकारी आदेश फर्जी पाया, जिसके सहारे काम किए गए थे। इसके तुरंत बाद विभाग ने राज्य के सभी जिला परिषदों और लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के सभी अधीक्षण अभियंताओं को उक्त जीआर पर कार्रवाई नहीं करने को कहा है, क्योंकि इसके कारण पहले ही कम से कम 6.94 करोड़ रुपए के कार्यों की निविदाएं और मंजूरी जारी हो चुकी थीं।
विट्स होटल के सौदे में भारी गड़बड़ी
विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने संभाजीनगर स्थित होटल विट्स की खरीद-फरोख्त में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी होने का आरोप लगाया है। उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना के मंत्री संजय शिरसाट के बेटे सिद्धांत शिरसाट का इस सौदे से कनेक्शन सामने आया है। दानवे ने सदन को बताया कि ‘विट्स’ होटल को मुंबई स्टॉक एक्सचेंज में पंजीकृत कंपनी धनदा कॉर्पोरेशन लिमिटेड चला रही है। दानवे का सवाल है कि संजय शिरसाट ने अपने शपथ पत्र में कहा है कि उनके बेटे सिद्धांत की संपत्ति शून्य है, तो वह होटल कैसे खरीद सकते हैं? दानवे के सवाल के बाद मुख्यमंत्री फडणवीस ने मामले की उच्च स्तरीय जांच की घोषणा की है।
नियमों का उल्लंघन
दानवे का दावा है कि विट्स होटल की नीलामी के लिए राज्य सरकार ने विज्ञापन जारी किया था। जिसके बाद सिद्धांत मैटेरियल प्रोक्योरमेंट एंड सप्लायर्स कंपनी, लक्ष्मी निर्मल हॉलिडे कंपनी और कल्याण टोल इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी नामक तीन कंपनियों ने इस नीलामी में बोलियां पेश की। 26 दिसंबर 2018 को एक सरकारी पंजीकृत मूल्यांकनकर्ता ने इस होटल की नीलामी के लिए 75 करोड़ 92 लाख रुपये का मूल्यांकन रिपोर्ट दिया। इस हिसाब से वर्ष 2025 में होटल की नीलामी के समय होटल की कीमत 150 करोड़ रुपए होनी चाहिए लेकिन नीलामी के समय कीमत 2018 की मूल्यांकन रिपोर्ट से भी कम लगाई गई। इस पर दानवे ने पूरी नीलामी प्रक्रिया में पारदर्शिता पर सवाल उठाया है।
काली सूची में डालने की मांग
दानवे का आरोप है कि सिद्धांत मैटेरियल प्रोक्योरमेंट एंड सप्लायर्स कंपनी विज्ञापन प्रकाशित होने के बाद इस होटल की नीलामी में आई, लेकिन कंपनी पंजीकृत नहीं थी। निविदा में तीन वर्ष की आयकर रिटर्न और राज्य स्तरीय दैनिक समाचार पत्रों में विज्ञापन की अनिवार्यता के बावजूद इनका पालन नहीं किया गया। बल्कि पहले के अनुबंध की शर्तों को जानबूझकर कम किया गया।
40 करोड़ रुपए का सॉल्वेंसी सर्टिफिकेट और कंपनी का 45 करोड़ रुपए का वित्तीय कारोबार की दो शर्तों को रद्द कर दिया गया। इस अनुबंध में शेष दो लोगों ने इस होटल को खरीदने के लिए एक बार फिर उप-विभागीय अधिकारी को आवेदन किया था। लेकिन उन्हें खारिज कर दिया गया। इस कंपनी की स्थापना राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आबासाहेब देशपांडे ने की थी। इस कंपनी के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया जाना चाहिए और कंपनी को काली सूची में डाला जाना चाहिए।