एकनाथ खड़से (सोर्स-सोशल मीडिया)
नागपुर: विधान परिषद में राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान एनसीपी (एसपी) सदस्य एकनाथ खडसे ने सरकार को नंदुरबार, जलगांव सहित पूरे राज्य में कुपोषण से हो रही बच्चों की मौत को लेकर जमकर घेरा। उन्होंने कहा कि सत्ता पक्ष की ओर से अभिभाषण की तारीफों के पुल बांधे गए।
खड़से ने कहा कि मुझे आश्चर्य है कि राज्यपाल के अभिभाषण में आदिवासी और ओबीसी समाज का उल्लेख तक नहीं है। पिछड़े वर्गों तक योजनाओं का लाभ नहीं पहुंच पा रहा है। क्या सरकार आदिवासी व पिछड़ों की विरोधी है? 8 महीनों में अकेले नंदुरबार जिले के आदिवासी भागों में कुपोषण से 5,888 बच्चों की मौत हुई है।
एनसीपी नेता ने कहा कि इस जिले में बीते 8 महीनों में 33,000 कुपोषित बच्चे मिले हैं। उन्नत जिला समझे जाने वाले जलगांव में कुपोषितों की संख्या बढ़ रही है। अन्य जिलों के आदिवासी अंचलों की ऐसी ही दुर्गति है। मौत का तांडव क्यों नहीं रोका गया? सरकार कुपोषण नियंत्रण के लिए अनेक योजनाएं लायी। महिला व बाल कल्याण विभाग को पैसे दिये। यह राज्य के लिए शर्मनाक है। इसकी जांच होनी चाहिए।
खडसे ने कहा कि आदिवासियों को घरकुल मंजूर हो रहा लेकिन घर नहीं मिल रहा है। शुद्ध पेयजल नहीं, दवाएं और डॉक्टर नहीं हैं। सरकार ने एपीजे अब्दुल कलाम पोषण आहार योजना के तहत घर-घर जाकर पोषण आहार, स्वास्थ्य जांच व दवा वितरण शुरू किया। क्या इस पर अमल हो रहा है? क्या आदिवासियों का महाराष्ट्र में जन्म लेना पाप है? उन्होंने मांग की विधिमंडल की एक समिति गठित करें। जाकर देखें कि कैसे कुपोषण है और बच्चे मर रहे हैं।
खडसे अपनी बात रख ही रहे थे कि तालिका सभापति निरंजन डावखरे ने समय की याद दिलाते हुए उन्हें रोकने घंटी बजा दी। इससे खडसे उखड़ गए। उन्होंने कहा कि मुझे दिया गया समय खत्म नहीं हुआ है। मैंने कितने मिनट बोला, बताएं। उन्होंने कहा कि मुझसे आपकी क्या दुश्मनी है।
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उनके इतना कहते ही मंत्री शंभूराजे देसाई ने आक्षेप लेते हुए कहा कि पीठासीन अधिकारी के लिए ऐसे शब्दों का उपयोग नहीं किया जा सकता। वे अपने शब्द वापस लें। खडसे ने विवाद में न पड़ते हुए अपने शब्द वापस लिये लेकिन टोला मारते हुए कहा कि मैं अच्छे विषय पर बातें कर रहा हूं। यह नहीं कह रहा कि सरकार लायक नहीं है, पैसे खा रही है। आदिवासी हित की बात कर रहा हूं। इस बीच अनिल परब सहित विपक्ष ने चर्चा के लिए समय बढ़ाने की मांग की।