धुले में ठेकेदारों का प्रदर्शन (सौजन्य-नवभारत)
धुले: सरकारी विकास कार्यों में लगे ठेकेदारों का 765 करोड़ रुपये का भुगतान लंबित है, लेकिन सरकार ने पिछले एक साल में मात्र 50 करोड़ रुपये ही जारी किए हैं। इसको लेकर जिला कॉन्ट्रैक्टर्स एसोसिएशन के ठेकेदारों ने PWD कार्यालय परिसर में डंपर और हायवा खड़े कर विरोध प्रदर्शन किया और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।
ठेकेदारों का कहना है कि कम राशि में मजदूरों के वेतन, वाहनों के ईंधन और घर का खर्च चलाना मुश्किल हो गया है। संघ के अध्यक्ष संदीप महाले ने चेतावनी दी कि यदि जल्द बकाया भुगतान नहीं हुआ तो परिवार सहित सड़क पर उतरकर बड़ा आंदोलन किया जाएगा।
ठेकेदारों का आरोप है कि पिछले 2-3 वर्षों से करोड़ों रुपये की बिलें लंबित हैं। जबकि 80-100% काम पूरा हो चुका है, लेकिन सरकार की ओर से केवल 8-10% भुगतान ही किया जा रहा है। कर्ज लेकर विकास कार्य कराने वाले ठेकेदार अब आर्थिक संकट में फंस गए हैं। “सरकार 100 रुपये के काम के बदले केवल 8-10 रुपये देती है। ऐसे में ठेकेदार कैसे काम करें?” इस तरह का सवाल खड़े किया।
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि शासन की अनदेखी के कारण ठेकेदार कर्ज में डूब गए हैं और उनकी स्थिति भी किसानों जैसी हो गई है। अगर जल्द भुगतान नहीं किया गया तो आत्महत्या जैसी घटनाएं भी हो सकती हैं।
1. जब तक सरकार पूरा भुगतान नहीं करती, तब तक काम में देरी पर कोई जुर्माना न लगाया जाए।
2. मूल्य वृद्धि को देखते हुए कार्य की अवधि बढ़ाई जाए और डिपॉजिट व गारंटी राशि लौटाई जाए।
धुले जिले में 150-200 ठेकेदार सरकारी विकास कार्यों में लगे हैं और हर ठेकेदार का 10 लाख से 10 करोड़ रुपये तक का भुगतान रुका हुआ है। संघ ने सरकार को अल्टीमेटम दिया है कि अगर इस महीने के अंत तक भुगतान नहीं हुआ तो जिले में सभी विकास कार्य ठप कर दिए जाएंगे।
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इस विरोध प्रदर्शन में संघ के अध्यक्ष संदीप महाले, सचिव प्रकाश पांडव, दीपक भामरे, तुषार रंधे, अशोक देसले, बाळासाहेब भदाणे, पुरुषोत्तम कोतकर, केदार जोशी, विजय चांडक, राहुल सोनवणे, पंकज अग्रवाल, अजय कटारिया, मिलिंद मुदावदकर, दीपक अहिरे, विजय गवली सहित सैकड़ों ठेकेदार शामिल हुए।