नहीं है शिंदे व फडणवीस के बीच कुल-कुल। (सौजन्यः सोशल मीडिया)
मुंबई: महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को झटका देते हुए उनके करीबी सहयोगी अजय अशर को नीति आयोग की तर्ज पर गठित राज्य सरकार की विचारक संस्था (थिंक टैंक) एमआईटीआरए से हटा दिया गया। यह कदम मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री शिंदे के बीच तनाव की खबरों के बीच उठाया गया है। रियल एस्टेट डेवलपर अशर को उस समय नियुक्त किया गया था जब शिंदे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे। वह महाराष्ट्र परिवर्तन संस्थान (एमआईटीआरए) में राजेश क्षीरसागर के साथ दो उपाध्यक्षों में से एक थे।
छह फरवरी के एक सरकारी आदेश में बताया गया कि राकांपा नेता और विधायक दिलीप वाल्से पाटिल और भाजपा विधायक राणा जगजीतसिंह पाटिल को उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया है, जबकि क्षीरसागर को बरकरार रखा गया है। शिवसेना (उबाठा) नेता संजय राउत ने राज्य सरकार द्वारा अपनी विचारक संस्था में फेरबदल करने और शिंदे के सहयोगी को हटाने के कदम का स्वागत किया, जिसे शिंदे के प्रभाव को कम करने के कदम के रूप में देखा जा रहा है। राउत ने कहा, “अजय अशर एक रियल एस्टेट डेवलपर हैं और वह शिंदे के करीबी सहयोगी हैं। अगर देवेंद्र जी ने यह रुख अपनाया है, तो हम इसका स्वागत करते हैं।”
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फडणवीस ने नया आदेश जारी करते हुए MITRA से अजय अशर को हटा दिया है और 2 नए नेताओं को उपाध्यक्ष पद पर नियुक्त किया है। इन दोनों नए उपाध्यक्षों में से एक अजित पवार की नेतृत्व वाली NCP के दिलीप वलसे पाटिल हैं और दूसरे बीजेपी नेता राणा जगजीत सिंह पाटिल शामिल हैं। MITRA संस्था में पहले से नियुक्त राजेश क्षीरसागर को रिटेन किया गया है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के इस फैसले को लेकर सियासी गलियारों में जमकर चर्चा हो रही है। MITRA से अजय अशर की छुट्टी करने के फडणवीस के फैसले को शिंदे के लिए एक और बड़ा झटका माना जा रहा है।
ज्ञात हो कि पिछले कुछ समय से फडणवीस और शिंदे के बीच कुछ फैसलों को लेकर ‘मतभेद’ की खबरें चलती रही हैं। हालांकि, फडणवीस ने हाल ही में उनके और शिंदे के बीच ‘शीत युद्ध’ की अटकलों को खारिज करते हुए कहा था कि कुछ लोग कहानियां रचने में सलीम-जावेद के साथ कंपटीशन करना चाहते हैं। उन्होंने कहा था कि जो लोग हम दोनों को जानते हैं, वे जानते होंगे कि जब हम साथ होते हैं तो हम क्या करते हैं। फडणवीस ने उन रिपोर्टों को भी खारिज कर दिया था, जिसमें दावा किया गया था कि उन्होंने अपने पूर्ववर्ती द्वारा लिए गए निर्णयों पर रोक लगाई है।