सीएम फडणवीस ने विपक्ष को दिया करार जवाब (photo credit; social media)
मुंबई: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने गुरुवार को विपक्ष के दावे को खारिज कर दिया। उन्होंने साफ कर दिया कि महिलाओं के लिए सरकार की प्रमुख स्कीम ‘लाड़की बहिन योजना’ के लिए अन्य विभागों से कोई फंड नहीं लिया है। साथ ही उन्होंने कहा कि जो लोग बजट को नहीं समझते हैं वे निराधार दावे कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री फडणवीस ने परभणी में पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा, इस योजना के लिए धनराशि जनजातीय मामलों और सामाजिक न्याय विभागों के माध्यम से वितरित की गई और यह बजटीय नियमों के अनुसार था। इस योजना के तहत पात्र गरीब महिलाओं को 1,500 रुपये मासिक मिलते हैं, बजटीय नियमों के अनुसार अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए धन आरक्षित होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अधिकतम धन व्यक्तिगत लाभ योजनाओं के लिए निर्धारित किया जाना चाहिए और कुछ धन बुनियादी ढांचे के विकास के लिए अलग रखा जाना चाहिए।
क्या कहते हैं नियम
सीएम फडणवीस ने कहा, यह आरोप गलत हैं। केवल वे लोग ही ऐसा आरोप लगा सकते हैं जिन्हें बजट की समझ नहीं है। नियम कहते हैं कि फंड एससी/एसटी के लिए रिजर्व होना चाहिए। ज्यादा से ज्यादा फंड व्यक्तिगत लाभ योजनाओं और कुछ बुनियादी ढांचे के विकास के लिए आरक्षित होना चाहिए सीएम ने कहा कि लाड़की बहिन योजना लाभार्थियों को व्यक्तिगत लाभ देने की श्रेणी में आती है। इसलिए, अगर आप इस योजना को पैसा देते हैं, तो बजटीय नियमों के अनुसार, इसे आदिवासी मामलों के विभाग और सामाजिक न्याय विभाग के तहत दिखाना होगा।
अजित पवार कर चुके हैं क्लियर
सीएम फडणवीस ने जोर देकर कहा कि वित्त विभाग रखने वाले उपमुख्यमंत्री अजित पवार पहले ही इस मामले में स्पष्टीकरण दे चुके हैं।आदिवासी मामलों और सामाजिक न्याय विभागों के बजट में 2025-26 में लगभग 1.45 गुना वृद्धि की गई है। यह (लाड़की बहिन फंड अन्य विभागों के माध्यम से वितरित) एक प्रकार का लेखा-जोखा है। कोई पैसा डायवर्ट नहीं किया गया है।
महाराष्ट्र के मंत्री ने भी उठाए थे सवाल
बता दें कि इस महीने की शुरुआत में, महाराष्ट्र के सामाजिक न्याय मंत्री संजय शिरसाट ने नाराजगी व्यक्त की थी और अजित पवार के नेतृत्व वाले वित्त विभाग पर मनमानी करने का आरोप लगाया था, जिसे उन्होंने उनकी जानकारी के बिना उनके विभाग से धन का अवैध रूप से डायवर्जन करार दिया था। उन्होंने स्वीकार किया था कि पिछले साल विधानसभा चुनावों से पहले शुरू की गई महिला-केंद्रित कल्याण योजना के कारण राज्य वित्तीय बाधाओं का सामना कर रहा है। शिवसेना मंत्री ने कहा था कि राज्य सरकार को आवंटित धन को समय-समय पर डायवर्ट करने के बजाय सामाजिक न्याय विभाग को बंद कर देना चाहिए।