मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और शरद पवार (फोटो: ANI)
पुणे. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद चंद्र पवार) अध्यक्ष शरद पवार ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से मराठा-ओबीसी आरक्षण विवाद पर सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग की है। पवार ने कहा कि राज्य का सामाजिक ताना-बाना सद्भावपूर्ण बना रहे और समुदायों के बीच कोई कड़वाहट पैदा न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए।
मराठा क्रांति ठोक मोर्चा के कार्यकर्ता रमेश केरे पाटिल ने पुणे में पवार के आवास पर उनसे मुलाकात की और आरक्षण के मुद्दे पर उनका रुख जाना। इसके बाद ही राकांपा (एसपी) प्रमुख ने मीडिया को संबोधित किया। पवार ने कहा कि उन्होंने केरे पाटिल द्वारा दिए गए ज्ञापन को स्वीकार कर लिया है। राकांपा नेता कहा कि उन्होंने हाल ही में मुख्यमंत्री के साथ बैठक की और सुझाव दिया कि वह आरक्षण विवाद के मुद्दे पर चर्चा के लिए एक सर्वदलीय बैठक बुलाएं।
उन्होंने कहा, “मैंने सुझाव दिया है कि वह (आरक्षण) मुद्दे का समाधान खोजने के लिए सभी राजनीतिक दलों की बैठक बुलाएं। उन्हें उन नेताओं को आमंत्रित करना चाहिए जिन्हें वह उचित समझते हैं और हम, विपक्ष के रूप में भी इसमें शामिल होंगे और सहयोग करेंगे।”
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पवार ने कहा कि शिंदे को आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे को आमंत्रित करना चाहिए, जिन्होंने राज्य में मराठा आरक्षण आंदोलन का नेतृत्व किया था। इसके अलावा, राज्य के मंत्री छगन भुजबल जैसे ओबीसी नेताओं को भी आमंत्रित करना चाहिए। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि आरक्षण को लेकर एक बाधा है क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने पहले ही निर्णय दे दिया है कि आरक्षण देते समय 50 प्रतिशत आारक्षण सीमा का उल्लंघन नहीं किया जा सकता है।
पवार ने कहा कि इसके अनुरूप नीति तैयार करने की जिम्मेदारी केंद्र की है। उन्होंने कहा कि केंद्र की नीति में बदलाव की जरूरत है और अगर केंद्र कदम उठाता है तो विपक्ष सहयोग करेगा। राकांपा (एसपी) ने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे की आलोचना करते हुए उन पर राज्य में दरार और जाति आधारित मतभेद पैदा करने का आरोप लगाया और सवाल किया कि बिना किसी कारण के उनका नाम इस मुद्दे में क्यों घसीटा गया? उन्होंने पार्टी नेता एवं पूर्व मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के सेवानिवृत्त अधिकारी परमबीर सिंह के आरोपों को “गैरजिम्मेदाराना” बताया।
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उन्होंने कहा, “चूंकि उनका (सिंह का) आचरण अनुचित था, इसलिए उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू की गई।” लोकसभा में पेश किए गए वक्फ (संशोधन) विधेयक पर पवार ने कहा कि मसौदा विधेयक की समीक्षा के लिए एक संयुक्त संसदीय समिति बनाई गई है और यह छह महीने में अपनी रिपोर्ट पेश करेगी। (एजेंसी एडिटेट)