अनिल देशमुख, सचिन वझे और देवेंद्र फडणवीस (फोटो: सोशल मीडिया)
मुंबई. महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख व मौजूदा गृहमंत्री देवेंद्र फडणवीस के बीच का वाकयुद्ध खत्म ही नहीं हो रहा है। बर्खास्त सहायक पुलिस निरीक्षक सचिन वझे के इसमें शनिवार अचानक कूदने के बाद यह युद्ध और भड़क गया। अनिल देशमुख ने अब फडणवीस को चांदीवाल आयोग की जांच रिपोर्ट सार्वजनिक करने की चुनौती दे दी है। देशमुख का दावा है कि आयोग ने उन्हें क्लीन चिट दे दिया है। इसलिए फडणवीस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं कर रहे हैं।
शनिवार को पुलिस हिरासत में पेशी पर आए सचिन वझे ने मीडिया के समक्ष आरोप लगाया कि एनसीपी शरदचंद्र पवार विधायक व पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख अपने पीए के जरिए रिश्वत का पैसा लेते थे। वझे ने दावा किया कि सीबीआई के पास इसके पुख्ता सबूत हैं तथा उसने (वझे) इस संबंध में महाराष्ट्र के मौजूदा गृहमंत्री देवेंद्र फडणवीस को एक पत्र भी लिखा है। वझे के अचानक सामने आकर पुलिस हिरासत में मीडिया के समक्ष बयान देने पर देशमुख सहित पूरा विपक्ष भड़का हुआ है। विपक्ष वझे के बयान की टाइमिंग और विश्वसनीयता पर सवाल उठा रहा है।
देशमुख ने पलटवार करते हुए कहा है कि पूर्व जस्टिस चांदीवाल ने सरकार को एक रिपोर्ट सौंपी है। इसमें उन्हें क्लीन चिट दी गई है। लेकिन सरकार इस रिपोर्ट को जारी नहीं कर रही है। जबकि हम सरकार से कई बार अनुरोध कर चुके हैं। देशमुख ने रविवार को कहा कि वझे सिर्फ फडणवीस के इशारे पर उन पर आरोप लगा रहे हैं। जबकि जस्टिस चांदीवाल ने 11 महीने की जांच के बाद सरकार को जो रिपोर्ट दी है। 1400 पेज की वह रिपोर्ट फिलहाल गृह विभाग यानी देवेंद्र फडणवीस के पास है। लेकिन राज्य सरकार उसे सार्वजनिक नहीं कर रही है क्योंकि इससे सरकार बेनकाब हो जाएगी। वहीं, फडणवीस ने वझे के आरोपों की जांच का आश्वासन दिया है।
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गौरतलब है कि मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने आरोप लगाया था कि देशमुख ने गृह मंत्री के तौर पर अपने कार्यकाल के दौरान पुलिस अधिकारियों से शहर के बार और रेस्टोरेंट से हर माह 100 करोड़ रुपये वसूलने को कहा था। आरोपों के मद्देनजर देशमुख ने 2021 में गृह मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था।
वझे ने पहले जांच आयोग के सामने कहा था कि उन्होंने देशमुख के सहयोगियों को उनके निर्देश पर पैसे पहुंचाये थे। वाजे पर उद्योगपति मुकेश अंबानी के निवास के बाहर जिलेटिन की छड़ें लगाने का आरोप है। उन पर व्यापारी मनसुख हिरन की हत्या के सिलसिले में भी मामला दर्ज किया गया है। वह फिलहाल नवी मुंबई की तलोजा जेल में हैं।
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देशमुख ने फडणवीस पर वझे के माध्यम से आरोप लगवाकर ‘राजनीतिक प्रतिशोध’ लेने का आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि छह बार तलब किये जाने के बाद भी परमबीर सिंह न्यायमूर्ति चांदीवाल आयोग के सामने पेश नहीं हुए। उन्होंने कहा, “आखिर में उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया और तब सिंह ने हलफनामा देकर कहा कि मुझ पर लगाये गये आरोप मौखिक सूचना पर आधारित हैं एवं उनके पास इस बात का कोई सबूत नहीं है।” देशमुख ने कहा कि न्यायमूर्ति चांदीवाल ने दो साल पहले सरकार को रिपोर्ट सौंपी थी। उन्होंने कहा, “मैंने कई बार फडणवीस को पत्र लिखकर उनसे इस जांच आयोग के निष्कर्षों को सामने रखने का अनुरोध किया था। लेकिन उन्होंने अब तक न तो इसे सार्वजनिक किया और न ही इसे राज्य विधानमंडल के पटल पर रखा।”
देशमुख के आरोपों पर देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि चांदीवाल आयोग की रिपोर्ट महाविकास अघाड़ी (एमवीए) के कार्यकाल में आई थी। उस समय राज्य सरकार उन्हीं की थी। इसलिए उनका कोई संबंध नहीं आया। लेकिन कोर्ट ने जो फैसला दिया, उसे देखेंगे तो सब कुछ साफ हो जाता है। मैं इसके बारे में बार-बार बात नहीं करता क्योंकि अगर कोई हर दिन कुछ कह रहा है तो मैं उसे जवाब देकर उसके स्तर तक गिरना नहीं चाहता। लेकिन आखिरकार सच्चाई सामने आ ही जाएगी। मैं आपको एक बार फिर याद दिलाता हूं कि जब अनिल देशमुख गृह मंत्री थे, तब परमबीर सिंह ने ये आरोप लगाए थे और परमबीर सिंह की नियुक्ति महाविकास अघाड़ी सरकार ने ही की थी। चांदीवाल आयोग की रिपोर्ट भी मविआ सरकार के कार्यकाल में आई थी। तब उनकी सरकार थी। इसलिए उन्होंने कार्रवाई नहीं की।
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भाजपा प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा देशमुख के आरोपों पर कहा कि अनिल देशमुख को आरोप लगाने के बजाय यह घोषणा करनी चाहिए कि वह नार्को टेस्ट के लिए तैयार हैं। उन्हें जांच का सामना करना चाहिए। (एजेंसी इनपुट के साथ)