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हाईकोर्ट पहुंचा CJI भूषण गवई अपमान मामला, एडवोकेट सातपुते ने दायर की PIL

सीजेआई भूषण गवई को वीआईपी प्रोटोकॉल नहीं देने का मामला अब तूल पकड़ रहा है। एडवोकेट सातपुते ने इसे अपमान बताते हुए उच्च न्यायालय में PIL दायर की है।

  • By सोनाली चावरे
Updated On: May 21, 2025 | 06:23 AM

हाईकोर्ट पहुंचा सीजेआई अपमान मामला

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मुंबई: पदभार ग्रहण करने के बाद रविवार को पहली बार मुबंई में पहुंचे सर्वोच्च न्यायालय के 52 वें मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) भूषण गवई की यात्रा के दौरान महाराष्ट्र सरकार ने उन्हें वीआईपी प्रोटोकॉल मुहैया नहीं कराया था। इसको लेकर कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता नाना पटोले ने महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक पत्र लिखकर मांग की है कि इस मामले में राज्य सरकार और प्रोटोकॉल का उल्लंघन करने वाले अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।

सीजेआई की यात्रा के दौरान प्रोटोकॉल के उल्लंघन का यह मामला अब कोर्ट पहुंच गया है। पेशे से वकील एवं सामाजिक कार्यकर्ता एड. नितिन सातपुते ने इसे सीजेआई अपमान बताते हुए उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की है। याचिकाकर्ता एड. सातपुते ने कहा कि महाराष्ट्र के अमरावती जिला के मूल निवासी न्यायाधीश भूषण गवई ने हाल ही में भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली है। उनकी नियुक्ति से पहली बार महाराष्ट्र का एक किसी दलित व्यक्ति देश के सर्वोच्च न्यायिक पद का कार्यभार संभाल रहा है। जिससे राज्य में गौरव का माहौल बना है। अपने कार्यकाल के दौरान न्या. गवई ने अनुच्छेद 370, विमुद्रीकरण और चुनावी बांड जैसे महत्वपूर्ण मामलों पर ऐतिहासिक फैसले दिए हैं।

महाराष्ट्र और गोवा बार काउंसिल ने गवई के सम्मान में एक अभिनंदन समारोह आयोजित किया था। इस समारोह के दौरान न्यायमूर्ति गवई को उचित वीआईपी प्रोटोकॉल नहीं दिया गया। स्वयं गवई ने सार्वजनिक रूप से इस पर खेद व्यक्त किया था। इस घटना के बाद सामाजिक और राजनीतिक हलकों में तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले, राकां नेता जितेंद्र आव्हाड, रोहिणी खडसे सहित कई लोगों ने इस घटना की निंदा करते हुए अपनी नाराजगी व्यक्त की है।

सामाजिक असमानता को बढ़ावा

एड. सातपुते के अनुसार, भारत के मुख्य न्यायाधीश को देश के सर्वोच्च संवैधानिक पदों में से एक माना जाता है। ऐसे व्यक्तियों को राज्य सरकार द्वारा विशिष्ट वीआईपी प्रोटोकॉल प्रदान किए जाने की अपेक्षा की जाती है, जिसमें सुरक्षा व्यवस्था, वाहनों का बेड़ा और अन्य औपचारिक स्वागत शामिल है। लेकिन आरोप लग रहे हैं कि सीजेआई गवई के मामले में ऐसा कोई प्रोटोकॉल नहीं अपनाया गया।

इससे कई लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं। इससे उनकी गरिमा को ठेस पहुंचा है। एड. सातपुते ने इसे सामाजिक अन्याय और असमानता करार देते हुए उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की है। उन्होंने घटना की जांच और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि मुख्य न्यायाधीश जैसे संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति की गरिमा का अपमान न केवल व्यक्तिगत अपमान है, बल्कि संपूर्ण न्यायपालिका की गरिमा का भी अपमान है। उन्होंने कहा है कि महाराष्ट्र सरकार मुख्य न्यायाधीश की गरिमा बनाए रखने में विफल रही है। यह घटना राज्य के सांस्कृतिक और प्रशासनिक मूल्यों पर सवाल उठाती है। उन्होंने मामले की तत्काल जांच और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

कल  होगी सुनवाई

सीजेआई प्रोटोकॉल उल्लंघन मामले में एडवोकेट शोभा बुद्धिवंत की ओर से एडवोकेट नितिन सातपुते द्वारा मुख्य सचिव सुजाता सौनिक, महाराष्ट्र पुलिस की डीजी रश्मी शुक्ला तथा मुंबई पुलिस के आयुक्त देवेन भारती के खिलाफ दायर याचिका पर उच्च न्यायालय के न्या. जितेंद्र जैन और अद्वैत सेठना की अवकाशकालीन बेंच बुधवार को सुनवाई कर सकती है।

अब सीजेआई होंगे “स्थायी राज्य अतिथि”

सीजेआई प्रोटोकॉल उल्लंघन मामला तूल पकड़ने के बाद राज्य सरकार ने शिष्टाचार के पालन हेतु मंगलवार को नई गाइडलाइन जारी की। सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को राज्य के स्थाई अतिथि का दर्जा दिया गया है। सीजेआई के मुंबई तथा महाराष्ट्र के अन्य क्षेत्रों के प्रस्तावित दौरे को ध्यान में रखते हुए राज्य शासन ने आवश्यक राजकीय शिष्टाचार के पालन के निर्देश दिए हैं। अर्थात अब से राज्य अतिथि नियम 2004 के अंतर्गत उन्हें पहले से ही निर्धारित सुविधाएं जैसे कि आवास, वाहन व्यवस्था और सुरक्षा आदि सुविधाएं पूरे राज्य में प्रदान की जाएंगी।

Cji bhushan gavai maharashtra vip protocol violation case advocate satpute filed pil in high court

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Published On: May 20, 2025 | 08:57 PM

Topics:  

  • Bomaby High Court
  • Maharashtra News
  • Mumbai

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