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ट्रेन से कटकर बाघ ‘T40 बिट्टू’ की मौत, बल्लारशाह-गोंदिया रेलवे लाइन पर हुआ हादसा

Tiger Death: बल्लारशाह-गोंदिया रेलमार्ग पर ट्रेन की चपेट में आकर मशहूर बाघ T40 बिट्टू की मौत हो गई। ब्रह्मपुरी वन क्षेत्र में घटना से वन विभाग और वन्यजीव प्रेमियों में शोक की लहर है।

  • By आकाश मसने
Updated On: Oct 14, 2025 | 11:50 AM

मृत बाघ के साथ वनकर्मी (सोर्स: सोशल मीडिया)

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T40 Tiger Dies In Chandrapur: बल्लारशाह-गोंदिया रेल मार्ग एक बार फिर वन्यजीवों के लिए ‘काल’ साबित हुआ है। चंद्रपुर जिले के ब्रह्मपुरी वन क्षेत्र में सिंदेवाही के पास तेज रफ्तार ट्रेन की चपेट में आने से T40 बिट्टू नामक प्रसिद्ध बाघ की दर्दनाक मौत हो गई। सोमवार सुबह घटना का पता चलते ही वन विभाग और वन्यजीव प्रेमियों में गहरा शोक छा गया है।

​ब्रह्मपुरी वन डिवीजन का गौरव था ‘T40 बिट्टू’

मृत बाघ ‘बिट्टू’ (T40) ब्रह्मपुरी वन डिवीजन का एक जाना-माना और चर्चित बाघ था। वह अपने प्रभावशाली आकार और विशिष्ट निशानों के कारण पूरे क्षेत्र में काफी प्रसिद्ध था। सिंदेवाही तहसील के वन्यजीव परिदृश्य में उसका स्थान महत्वपूर्ण था और वह शोधकर्ताओं तथा वन्यजीव प्रेमियों के बीच अत्यधिक लोकप्रिय था।

‘बिट्टू’ ताडोबा-अंधारी टाइगर रिजर्व के मशहूर बाघ ‘जय’ का पुत्र था। ‘जय’ के एक और बेटे ‘श्रीनिवास’ की भी कुछ साल पहले बिजली गिरने से मौत हो गई थी।

​देश का सबसे घातक साबित हो रहा यह रेल मार्ग

यह रेल मार्ग अब वन्यजीवों के लिए ‘काल’ बन चुका है। रिपोर्ट के अनुसार, यह देश का ‘बाघों का सबसे बड़ा हत्यारा’ मार्ग बन गया है। इस लाइन पर अब तक 18 बाघों के अलावा 26 जंगली भैसे, और अनगिनत हिरण, लकड़बग्घे और भालू मारे जा चुके हैं।भारत में किसी भी अन्य रेल मार्ग पर वन्यजीवों की इतनी बड़ी संख्या में मौत नहीं हुई है।

कॉरिडोर को बाधित करने का प्रयास

वर्षों से वन्यजीवों की मौत होने के बावजूद, रेलवे विभाग ने अभी तक वन्यजीव संरक्षण के लिए उपाय लागू नहीं किए हैं। रेलवे का कहना है कि वन विभाग द्वारा खर्च वहन किए जाने पर ही इन उपायों पर विचार किया जाएगा।​

आश्चर्यजनक रूप से, रेलवे ने ताडोबा-कन्हालगांव से पेंच तक फैले इस महत्वपूर्ण वन्यजीव गलियारे (कॉरिडोर) को बाधित करना शुरू कर दिया है। रेलवे ने इस क्षेत्र में लगभग सात किलोमीटर तक बाड़ (फेसिंग) लगानी शुरू कर दी है, जिससे वन्यजीवों का यह आवश्यक गलियारा खंडित हो गया है।

महाराष्ट्र में उपायों का अभाव,मध्य प्रदेश में सफलता

यह रेल लाइन गोंदिया-जबलपुर और बालाघाट (मध्य प्रदेश) की ओर जाती है। इसी कॉरिडोर के मध्य प्रदेश वाले हिस्से में अंडरपास जैसे सफल उपाय लागू किए गए हैं, जिसके कारण वहां वन्यजीवों की मौत की घटनाएं लगभग नहीं होती हैं। इसके विपरित, महाराष्ट्र में इन उपायों के अभाव में अब तक अकेले इस मार्ग पर 18 बाघों की जान जा चुकी है।

यह भी पढ़ें:- महाराष्ट्र बोर्ड एग्जाम 2026 की तारीखों का ऐलान, जानें कब से शुरू होगी 10वीं-12वीं परीक्षा

​शासकीय रिपोर्ट और कानूनी हस्तक्षेप

रेलवे और पर्यावरण मंत्रालय ने मार्च 2025 में एक संयुक्त रिपोर्ट तैयार की थी, जिसमें शमन उपायों की सिफारिश की गई थी, लेकिन यह रिपोर्ट अब भी लागू नहीं की जा सकी है। सूत्रों के मुताबिक इस गंभीर मुद्दे पर रेलवे मार्ग पर सुरक्षा उपायों को लागू करने के लिए कुछ वन्यजीव प्रेमियों ने नागपुर उच्च न्यायालय में याचिका भी दायर की है।

​तत्काल उपाय लागू करने की मांग

वन्यजीव प्रेमी मांग कर रहे हैं कि भारतीय रेलवे को अवैध बाड़बंदी को रोकने के बजाय तुरंत अंडरपास, नॉइज़ बैरियर्स (शोर अवरोधक), लाइट बैरियर्स, इलेक्ट्रोमैट्स और घुसपैठ का पता लगाने वाली प्रणाली (Intrusion Detection System) जैसे प्रभावी उपाय लागू करने चाहिए। ‘T40 बिट्टू’ जैसे अमूल्य वन्यजीवों को बचाने के लिए इन सिफारिशों को तुरंत और सख्ती से अमल में लाने की आवश्यकता है।

T40 tiger death ballarshah gondia railway track

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Published On: Oct 14, 2025 | 11:50 AM

Topics:  

  • Chandrapur
  • Chandrapur News
  • Maharashtra
  • Tiger

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