चंदपुर में हो रहा डिवाइडर का निर्माण (फाेटो नवभारत)
Chandrapur Road Dividers Controversy: चंद्रपुर महानगर पालिका शहर की जानलेवा सडकों का सुधार करने के बजाय पुराने डिवायडर तोड़कर नये डिवायडर बनाने पर करोड़ों रुपये खर्च कर रही है। इस तरह चंद्रपुर मनपा का अजीबोगरीब प्रबंधन शुरू है। यह आरोप जनविकास सेना के अध्यक्ष व पूर्व पार्षद पप्पू देशमुख ने लगाया है।
बागला चौक से राजीव गांधी इंजीनियरिंग कॉलेज और आगे बल्लारपुर मार्ग तक जगह-जगह जानलेवा गड्ढे हैं। बाबूपेठ, भिवापुर वार्ड, लालपेठ आदि क्षेत्रों में रहने वाले नागरिकों के साथ-साथ दोनों इंजीनियरिंग कॉलेजों के छात्र, वेकोलि कर्मचारी, स्कूली छात्र हजारों की संख्या में इस सड़क से यात्रा करते हैं।
इस सड़क पर गड्ढों के कारण नागरिकों को जान हथेली पर रखकर यात्रा करनी पड़ती है। इसे नजरअंदाज करते हुए 3 करोड़ 56 लाख रुपये का रोड डिवाइडर बनाया जा रहा है। चंद्रपुर मनपा के इस अजीबोगरीब प्रबंधन के कारण नागरिकों में रोष व्याप्त है।
बल्लारपुर की ओर जानेवाले रोड की हालत बहुत खराब हो गई है। इसके कारण चंद्रपुर के हजारों निवासियों को गर्दन और रीढ़ की हड्डी में समस्या, पीठ दर्द और सांस की बीमारियों जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
इस सड़क पर तुरंत काम करना बहुत ज़रूरी है।एक तरफ 50 से 60 मीटर सीमेंट कंक्रीट सड़क का काम पूरा हो गया। लेकिन फंड की कमी के कारण बाकी काम रुका हुआ था।
कुछ दिन पहले, नगर निगम ने इस सड़क पर मजबूत और अच्छी स्थिति में मौजूद डिवाइडर हटाने का काम शुरू किया। आखिरकार, नागरिक भी संतुष्ट हुए कि सड़क का काम शुरू हो गया है। एक स्थानीय नागरिक ने पूर्व नगरसेवक पप्पू देशमुख से संपर्क कर इस काम में हो रही देरी और इससे होने वाली असुविधा की शिकायत की।
देशमुख ने नगर निगम के अधिकारियों से संपर्क कर उक्त काम की जानकारी ली। तब देशमुख को चौंकाने वाली जानकारी मिली कि इस जगह पर न केवल सड़क का काम, बल्कि रोड डिवाइडर का भी काम चल रहा था।
शहर में 3 करोड़ 56 लाख रुपये की लागत से 300 से 400 मीटर लंबे दो रोड डिवाइडर बनाए जाएंगे। देशमुख ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि इसमें कुछ पेड़ लगाना और पांच साल तक रखरखाव और मरम्मत का काम शामिल है।
इस अवसर पर पूर्व नगरसेविका पुष्पा मुन, स्नेहल रामटेके, मनीषा बोबड़े, अक्षय येरगुडे, घनश्याम येरगुडे, प्रफुल बैरम, इमदाद शेख, सुभाष पाछभाई, देवराव हटवार, किशोर महाजन, कुशाब कायरकर, अमोल घोड़मारे, चंद्रकांत जीवतोड़े, अमूल रामटेके, शब्बीर शेख उपस्थित थे।
चूंकि चंद्रपुर एक प्रदूषित शहर है, इसलिए यह केंद्र सरकार द्वारा प्रदूषण नियंत्रण के लिए हर साल राष्ट्रीय स्वच्छता कार्यक्रम के अंतर्गत आता है। इसके तहत धूल को कम करने और वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए विभिन्न कार्य किए जाते हैं।
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सरकार की मंशा है कि प्रदूषण से नागरिकों के स्वास्थ्य पर कोई असर न पड़े। राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के तहत 2022-23 के लिए प्राप्त धनराशि से 2.25 करोड़ रुपये का फव्वारा घोटाला हुआ। देशमुख ने यह आरोप लगाया।उन्होंने कहा कि 2024-25 के लिए प्राप्त धनराशि से दो सड़क डिवाइडर तोड़े जा रहे हैं और एक नया डिवाइडर बनाया जा रहा है।
नगर निगम के पास वर्तमान में 50 लाख रुपये की एक बड़ी फॉगर मशीन है जो पूरे शहर में पानी का छिड़काव करती है। ऐसी दो मशीनें प्राप्त करके प्रत्येक ज़ोन को एक मशीन देना संभव होता। यह मशीन शहर में धूल को नियंत्रित कर सकती है।
30 लाख रुपये की तीन छोटी स्वीपिंग मशीनें और एक करोड़ रुपये की एक बड़ी स्वीपिंग मशीन है। इसे भी इसमें जोड़ा जा सकता था। इतना ही नहीं सड़क रखरखाव और मरम्मत की आड़ में बागला चौक से राजीव गांधी इंजीनियरिंग कॉलेज तक सड़क का काम भी किया जा सकता था।