चंद्रपुर में विरोध करते शिक्षा बचाव समन्वय समिति के सदस्य (सोर्स: सोशल मीडिया)
Protest Against School Closure Order In Chandrapur: शिक्षा बचाव समन्वय समिति ने चंद्रपुर स्थित जिलाधीश कार्यालय में अमरावती संभाग में कम नामांकन वाले स्कूलों को बंद करने के आदेश का कड़ा विरोध जताया। इस संबंध में समिति के अध्यक्ष एवं सचिव के माध्यम से उप जिलाधीश दगडू कुंभारे को एक ज्ञापन सौंपा।
इसमें मांग की गई है कि इस आदेश को तत्काल वापस लिया जाए। सरकारी शुद्धिपत्र संख्या एमएससी-21040/3/2025 दिनांक 7 अक्टूबर 2025 और आयुक्त (शिक्षा) पुणे द्वारा 7 अक्टूबर 2025 को आयोजित वर्चुअल बैठक में दिए गए निर्देशों के अनुसार, अमरावती संभाग में कम नामांकन वाले स्कूलों को बंद करने के आदेश दिए गए हैं।
इस आदेश के अनुसार, एक ही परिसर के विद्यालयों का विलय, शून्य नामांकन वाले विद्यालयों के साथ-साथ 1 से 5 नामांकन वाले विद्यालयों को बंद करना, छात्रों को निकटवर्ती विद्यालयों में समायोजित करना, छात्रों को परिवहन भत्ता प्रदान करना, बंद विद्यालयों के यू-डाइस क्रमांक रद्द करना, बालिका विद्यालयों को सह-शिक्षा विद्यालयों में परिवर्तित करने का निर्देश दिया गया है।
उक्त आदेश संविधान, शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के साथ-साथ स्थानीय स्वशासन निकायों के अधिकारों का उल्लंघन करता है। विद्यालयों को बंद करने का निर्णय छात्रों के शिक्षा और विकल्प के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।
विद्यालयों को बंद करने के निर्णय से ग्रामीण और वंचित क्षेत्रों के छात्रों के विद्यालय से वंचित होने का खतरा पैदा होगा। साथ ही, 1 से 5 गुना छात्र संख्या वाले विद्यालयों को बंद करने के बजाय, सरकार को उन विद्यालयों में भौतिक सुविधाएं प्रदान करने की आवश्यकता है। इसके लिए, सरकार के संबंधित आदेश को तत्काल वापस लिया जाना चाहिए।
छात्रों की संख्या के आधार पर किसी भी विद्यालय को बंद नहीं किया जाना चाहिए। क्लस्टर गठन की प्रक्रिया को तत्काल रोका जाना चाहिए। सभी विद्यालयों को शिक्षा का अधिकार अधिनियम के मानदंडों के अनुसार आवश्यक भौतिक सुविधाएं प्रदान की जानी चाहिए।
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राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू नहीं करने का निर्णय लिया जाना चाहिए। सकल आय का कम से कम 6 प्रतिशत शिक्षा पर खर्च किया जाना चाहिए ऐसी मांगे बयान में की गई हैं।
शिक्षा बचाव समन्वय समिति ने कहा कि अगर यह आदेश वापस नहीं लिया गया, तो हर स्तर पर तीव्र आंदोलन शुरू किया जाएगा। साथ ही कहा कि शिक्षा की रक्षा और सामाजिक न्याय के लिए यह लड़ाई जारी रहेगी।