भद्रावती में स्थित माता का प्राचीन मंदिर (फोटो नवभारत)
Bhadravati News: चंद्रपुर जिले का भद्रावती एक ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व वाला शहर है। इस शहर का इतिहास आज औद्योगिकरण पर आकर रुक गया है। शहर में सर्वधर्म समभाव अपने आप में समाए हुए हैं। भद्रावती शहर में जैन धर्म का तीर्थ स्थान, भगवान गौतम बुद्ध की विशालकाय मूर्ति, गोंड राजा का किला, नाग देवता का मंदिर, विदर्भ के अष्टनायक में गिने जाने वाले वरद विनायक का गणेश मंदिर ऐसे कई पौराणिक चीजों को अपने आप में संभाल कर रखे हुए इस शहर की ख्याति दूर-दूर तक है।
शहर में मां भवानी, चंडिका माता और भद्रगिरी माता के महिषासुर मर्दिनी रूप का पुरातन मंदिर है। नवरात्रि में इन मंदिरों में श्रद्धालुओ की भीड़ देखी जाती है। दर्शन के लिए महिलाओं में होड़ मची रहती है। भद्रनाग मंदिर के उत्तर दिशा में और पुराने सरकारी अस्पताल के पास अति प्राचीन माता का मंदिर है। इस मंदिर की ओर पहले लोगों का ध्यान नहीं रहने से यह मंदिर मिट्टी व विशाल पत्थर से ढंक गया था।
बताया जाता है कि एक महिला ने जब अपने सपने में इस मंदिर को देखा। उसकी जानकारी भद्रावती शहर के सामाजिक संगठनों को दी तब संघटनों के कार्यकर्ताओं ने वहां खुदाई कर पत्थरों को हटाया। वहां माता भवानी की 6 फीट की बैठे आसान वाली मूर्ति मिली।
मूर्ति को 10 भुजाएं और मूर्ति के पैरों के नीचे एक मूर्ति नजर आई देवी मूर्ति के सिर के पीछे सूर्य चक्र है, उसी जगह मत्स्यकन्या, हनुमान, आदि देवताओं की मूर्ति भी नजर आने के पश्चात पुन खुदाई किए जाने पर शिवलिंग नजर आया।
सभा मंडप भी पत्थरों से निर्मित बहुत बड़ा था। वहां से मंदिर में प्रवेश करने के लिए द्वार बनाया गया। मंदिर से सटकर एक सुरंग जैसी गुफा नजर आती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार यह गुफा सीधे चंद्रपुर महाकाली मंदिर में निकलती है।
जैन मंदिर के पीछे चंडिका माता हेमाडपंथी पौराणिक मंदिर है। यह मंदिर 16 नक्शेदार खंबो पर खड़ा है। मंदिर के उत्तर में छोटा सा तालाब भी नजर आता है। जिस वजह से मंदिर का दृश्य मनमोहक दिखाई देता है। मंदिर के परिसर में कई पौराणिक मूर्तियां देखी जा सकती है।
यह मंदिर सैकड़ों वर्ष पुराना होने का अनुमान है। 1900 के प्रथम दशक में चंद्रपुर के कास्टिशन मिशनरी के पादरी जब वहां पर घूम रहे थे तब उनको यह मंदिर नजर आया। मंदिर के सामने एक बहुत बड़ा पत्थरों का चबूतरा भी बना हुआ है। इस चबूतरा के चारों ओर चार स्तंभ भी दिखाई देते हैं। मंदिर के गर्भ गृह में 6 फीट ऊंची चंडिका माता की मूर्ति नजर आती है।
शहर से कुछ ही दूरी पर बिजासन नामक क्षेत्र है। 52 एकड़ क्षेत्र में बड़ा तालाब नजर आता है। तालाब के पास ही ऊंची पहाड़ी नजर आती है। इसे भद्रगिरी के नाम से पहचाना जाता है। यहां हेमाडपंथी पूर्व मुखी मंदिर नजर आता है।
मंदिर में मां भवानी महिषासुर मर्दनी की पूर्व मुखी मूर्ति नजर आती है। जहां मंदिर है वहां पत्थरों की खदान थी। विस्फोटों के कारण मंदिर को बहुत नुकसान हुआ। मंदिर के दर्शनीय भाग में गणेश जी की मूर्ति भी नजर आती है।
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कुछ ही दूरी पर पांच बाय दो आकर की लक्ष्मी की मूर्ति है। पहाड़ी के पास ही शीला पर पत्थर से बनी 6 मूर्तियां हैं। मां भवानी और भद्रगिरी महिषासुर मर्दिनी मूर्तियां एक ही मंदिर में नजर आती है। ऐसे पौराणिक और ऐतिहासिक शहर में नवरात्र उत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
देवी के इन सभी मंदिरों में शहर की महिलाएं ओटी भरने हेतु सुबह से ही लाइन में नजर आती है। माता भवानी से अपने परिवार में सुख समृद्धि की कामना करती है। इतनी प्राचीन मूर्तियां होने के कारण इन मंदिरों पर लोगों की अगाध भक्ति और अटूट विश्वास रहने से मंदिरों में नवरात्र बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है।