(प्रतीकात्मक तस्वीर)
Chandrapur Bear Attack: चंद्रपुर जिले के जुनोना गांव में जंगल से पत्ते तोड़ने गए पिता-पुत्र पर भालू का जानलेवा हमला एक दर्दनाक हादसे में तब्दील हो गया, जब घायल पिता अरुण कुकसे ने नागपुर के एम्स में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। इस घटना के बाद गांव में शोक और आक्रोश का माहौल है। ग्रामीणों ने मृतक के परिवार को 25 लाख रुपये मुआवजा और बेटे को वन विभाग में स्थायी नौकरी देने की मांग की है।
घटना शनिवार की है जब अरुण कुकसे और उनका बेटा विजय कुकसे पास के जुनोना जंगल में पत्ते तोड़ने गए थे। तभी अचानक एक भालू ने अरुण पर हमला कर दिया। अपने पिता को बचाने के लिए विजय ने भी भालू से मुकाबला किया, लेकिन भालू ने दोनों को बुरी तरह घायल कर दिया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, दोनों की चीख-पुकार सुनकर ग्रामीण मौके पर पहुंचे, लेकिन भालू ने काफी देर तक हमला जारी रखा।
ग्रामीणों ने शोर मचाकर भालू को भगाने की कोशिश की, परंतु भालू ने दोनों को एक घंटे तक अपनी गिरफ्त में रखा और गंभीर रूप से घायल कर दिया। बाद में जब भालू वहां से भागा, तो दोनों को अस्पताल में भर्ती कराया गया। हालत गंभीर होने पर अरुण कुकसे को नागपुर के एम्स में रेफर किया गया था।
रविवार, 25 अगस्त को अरुण कुकसे की इलाज के दौरान मौत हो गई। वहीं, उनका बेटा विजय अभी भी अस्पताल में भर्ती है और उसका इलाज जारी है। इस दर्दनाक हादसे ने न केवल उनके परिवार, बल्कि पूरे गांव को झकझोर दिया है।
घटना के बाद गुस्साए ग्रामीणों ने वन विभाग से मृतक के परिवार को 25 लाख रुपये का मुआवजा देने और विजय कुकसे को वन विभाग में नौकरी देने की मांग की है। उनका कहना है कि जंगल के पास रहने वाले लोगों की सुरक्षा के लिए सरकार और प्रशासन कोई ठोस कदम नहीं उठा रहे हैं। वन्यजीवों के हमले अब आम बात हो गई है, जिससे ग्रामीणों का जीवन खतरे में पड़ गया है।
यह भी पढ़ें:- गड़चिरोली जिले के 43 साल…क्या अब भी विकास एक सपना है? जानें कितना बदला जंगलों का जिला
हमले के बाद वन विभाग की टीम ने भालू को पकड़ने की कोशिशें शुरू की थीं, लेकिन अब तक सफलता नहीं मिली है। विभाग ने घटना की जांच शुरू कर दी है और पीड़ित परिवार को सहायता पहुंचाने की प्रक्रिया पर विचार कर रहा है।
यह हादसा एक बार फिर मानव-वन्यजीव संघर्ष की गंभीरता को उजागर करता है। सरकार और वन विभाग को न सिर्फ इस घटना में पीड़ित परिवार की भरपाई करनी चाहिए, बल्कि भविष्य में ऐसे हादसों से बचने के लिए सुरक्षा उपायों और राहत योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करना चाहिए।