साकोली नगर परिषद (सोर्स: सोशल मीडिया)
Sakoli Sendurwafa Nagar Parishad Election: भंडारा जिले की साकोली-सेंदुरवाफा नगरपरिषद चुनाव में नामांकन वापस लेने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद अब मुकाबला और अधिक दिलचस्प होने जा रहा है। नगराध्यक्ष पद के लिए 9 उम्मीदवार, जबकि नगरसेवक पद के लिए कुल 107 उम्मीदवार मैदान में डटे हैं।
नामांकन वापसी की प्रक्रिया में केवल पांच ही उम्मीदवारों ने अपने नाम वापस लिए, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि बागी और निर्दलीय उम्मीदवारों का दबदबा अब भी कायम है। इसके चलते प्रमुख राजनीतिक दलों की रणनीतियां उलझ गई हैं। नगराध्यक्ष पद के लिए विद्या रंगारी ने अपना नामांकन वापस ले लिया, जिसके बाद 9 उम्मीदवार अंतिम सूची में शामिल है।
वहीं नगरसेवक पद के लिए निलेश घरडे, मोहनिश पठान, नितीन तरजूले और आनिक निंबेकर ने अपने नाम वापस लिए, जिसके बाद यह संख्या 107 पर स्थिर हो गई। राजनीतिक दलों की ओर से की गई मान मनौवल के प्रयासों को अपेक्षित सफलता नहीं मिली। कांग्रेस में सबसे अधिक बागावत देखने को मिली, जबकि भाजपा दूसरे क्रमांक पर रही।
इसके अलावा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजित पवार गुट) का अनौपचारिक गट स्वतंत्र रूप से चुनाव मैदान में होने से प्रमुख दलों के समीकरण और अधिक जटिल हो गए हैं। शिवसेना, वंचित बहुजन आघाडी और बहुजन समाज पार्टी भी शहर में अपना स्वतंत्र राजनीतिक प्रभाव बढ़ाने की कोशिश में हैं।
नगराध्यक्ष पद के लिए 9 उम्मीदवार मैदान में हैं, जिनमें अनुभवी नेतृत्व, घराने से जुड़े नाम, और नए चेहरे सभी शामिल हैं। इससे शहर की चुनावी हवा और अधिक गर्म हो गई है।
भाजपा से देवश्री कापगते, कांग्रेस से सुनिता कापगते, एनसीपी (अजित पवार गुट) से भारती लंजे, वंचित बहुजन आघाडी से कोकीला रामटेके, बसपा से संगीता मेश्राम और शिवसेना (शिंदे गुट) से वंदना पोहाने, निर्दलीय वर्षा तरजुले, कांचन रामटेके, अर्चना टेंभुरकर मैदान में डटे हुए है।
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बागी उम्मीदवार स्थानीय स्तर पर मजबूत पहचान और जनता से सीधे संपर्क को अपनी ताकत मान रहे हैं, जबकि संगठनात्मक शक्ति और पार्टी का ढांचा आधिकारिक उम्मीदवारों की प्रमुख मजबूती है। चुनाव की तारीख नजदीक आते ही साकोली में राजनीतिक वातावरण और गरमाने की पूरी संभावना है।
अनुभवी नेताओं के साथ नए चेहरे चुनावी मैदान में उतरने से यह मुकाबला और रोमांचक हो गया है। प्रमुख दलों की आंतरिक नाराजगी, स्थानीय स्तर पर बढ़ते मतभेद और बागी उम्मीदवारों की मजबूती यह सभी तत्व चुनाव को किसी भी दल के लिए आसान नहीं है।
नामांकन पत्र वापसी की संख्या कम होने से नगराध्यक्ष और नगरसेवक दोनों पदों पर बहुकोणीय संघर्ष बन गया है। कई प्रभागों में एकाधिक उम्मीदवारों की मौजूदगी से वोटों के बिखराव की पूरी संभावना है, जो प्रमुख दलों के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है।