भंडारा नगर परिषद (फोटो नवभारत)
Bhandara Municipal Councils Elections: भंडारा जिले की स्थानीय राजनीति में अगले कुछ महीने हलचल भरी रहने वाली हैं। भंडारा, तुमसर, साकोली और पवनी नगर परिषदों के चुनाव की तैयारियां अपने अंतिम चरण में हैं। प्रभाग रचना की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और आपत्तियों पर सुनवाई के बाद अंतिम अधिसूचना का इंतजार है, जिसके बाद स्थानीय राजनीति में गुटबाजी और गतिविधियां तेज होने की पूरी संभावना है।
पिछले चार वर्षों से इन नगर परिषदों में प्रशासकीय व्यवस्था चल रही है, जिससे नागरिकों में असंतोष साफ दिखाई दे रहा है। इसे भुनाने के लिए राजनीतिक दलों और इच्छुक उम्मीदवारों ने अपनी कमर कस ली है।
चुनाव की आहट के साथ ही उम्मीदवारों की सक्रियता बढ़ गई है। गणेशोत्सव के दौरान ही कई युवाओं ने अप्रत्यक्ष रूप से प्रचार अभियान शुरू कर दिया था। संभावित उम्मीदवारों ने लोगों से संपर्क करना और अपनी उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाना शुरू कर दिया है।
भंडारा, तुमसर और साकोली के विधायक भी इस चुनावी समर में सक्रिय हो चुके हैं। वे बैनरों, सामाजिक गतिविधियों और संगठनात्मक बैठकों के जरिए स्थानीय स्तर पर अपनी पकड़ मजबूत कर रहे हैं। कई पूर्व नगरसेवकों और कार्यकर्ताओं ने उनका साथ दिया है, जो अब नगर पालिका चुनावों में अपनी भूमिका निभाने को तैयार हैं।
इस चुनाव में मुख्य मुकाबला भाजपा और शिवसेना (शिंदे गुट) के ‘महायुति’ गठबंधन और कांग्रेस और राकांपा (अजित पवार गुट) के बीच होने की संभावना है। हाल ही में हुए जिला सहकारी बैंक और दूध संघ चुनावों में मिली जीत से भाजपा का उत्साह बढ़ा है, जबकि कांग्रेस के सामने अपनी खोई हुई जमीन वापस पाने की चुनौती है।
एनसीपी भी बैंक चुनाव की जीत के बाद अपने संगठन का विस्तार करने पर जोर दे रही है। इन मुख्य दलों के अलावा, स्वतंत्र उम्मीदवार भी चुनावी समीकरणों को बिगाड़ सकते हैं, जिससे कुछ प्रभागों में मुकाबला त्रिकोणीय या चौकोणीय हो सकता है।
सभी राजनीतिक दल बूथ स्तर पर काम करने और कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने में जुटे हैं। हालांकि, अधिकांश दल अभी अपने पत्ते खोलने को तैयार नहीं हैं। माना जा रहा है कि प्रभाग आरक्षण घोषित होने के बाद ही उम्मीदवारों की तस्वीर साफ होगी। पुराने चेहरों के साथ-साथ कई नए चेहरे भी इस चुनाव में अपनी किस्मत आजमा सकते हैं। लोगों में सड़क, पानी, स्वच्छता और नालियों जैसी मूलभूत सुविधाओं की कमी को लेकर नाराजगी बरकरार है, जिसका असर चुनाव में दिख सकता है।
इस चुनाव में भंडारा, तुमसर और साकोली विधानसभा क्षेत्र के विधायकों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। नगर परिषद के चुनाव को स्थानीय राजनीति का आधार माना जाता है और यहां से चुने गए नगर सेवक ही दलों की जमीनी ताकत का प्रमाण होते हैं। 4 साल से जनप्रतिनिधियों की गैर-मौजूदगी में नागरिकों की कई समस्याएं अधूरी पड़ी हैं।
मतदाताओं को उम्मीद है कि नए चुने हुए प्रतिनिधि विकास कार्यों को गति देकर उनकी समस्याओं का समाधान करेंगे। हालांकि, जानकारों का कहना है कि जीत सिर्फ विकास के आधार पर नहीं बल्कि जातीय समीकरण, स्थानीय गुटबाजी और व्यक्तिगत राजनीतिक प्रभाव पर भी निर्भर करेगी।
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इस बार के चुनाव में कुछ बदलाव भी हुए हैं। तुमसर नगर पालिका में नगरसेवकों की संख्या बढ़कर 25 हो गई है, जबकि साकोली में 8 की जगह 10 प्रभाग होंगे, जिससे कुल नगरसेवक 20 होंगे। भंडारा में 17 प्रभागों से 35 नगरसेवक चुने जाएंगे। जैसे ही वार्ड आरक्षण की अधिसूचना जारी होगी, चुनाव प्रचार अभियान और तेज हो जाएगा और उम्मीदवार मतदाताओं से सीधा संपर्क करना शुरू कर देंगे।
जिले की चारों नगर परिषदों के चुनाव न केवल स्थानीय बल्कि जिला स्तरीय राजनीति के समीकरणों को भी बदलने की क्षमता रखते हैं। इसीलिए कहा जा रहा है कि अगले दो महीनों में जिले की राजनीति की दशा और दिशा बदल सकती है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि यहां के मतदाता किसे चुनकर स्थानीय शासन की बागडोर सौंपते हैं।