कुंआ सिंचाई (सौजन्य-नवभारत)
Bhandara News: भंडारा क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से सरकार ने महत्वाकांक्षी सिंचाई कुओं की योजना शुरू की थी। लेकिन अब इस योजना के कामों को रोककर इसके लिए निर्धारित राशि को अन्यत्र दुरुस्ती कार्यों में मोड़ दिया गया है। भंडारा जिले के लिए 1,500 कुओं का लक्ष्य रखा गया था। इनमें से केवल 494 कुएं का निर्माण पूरा हुआ है, जबकि 1,006 कुओं का काम अभी अधूरा है।
कई स्थानों पर मानसून के दौरान अड़चनें आईं, जिससे काम रुक गया। कुओं का लक्ष्य पूरा न होने के कारण सरकार ने 31 मई 2026 तक केवल प्रगतिपथ पर चल रहे कामों को ही अनुमति देने और बाकी कार्यों को रद्द करने का निर्णय लिया है। भंडारा जिले का कुल भौगोलिक क्षेत्र 4,08,700 हेक्टेयर है, जिसमें 2,19,147 हेक्टेयर क्षेत्र खेती योग्य है। जिले का 63% क्षेत्र शुष्क भूमि और 37% क्षेत्र बागायती है।
जिले में कुल किसानों की संख्या 2,18,672 है, जिसमें लघु किसान 48,911, सीमांत किसान 1,49,279 और मध्यम किसान 20,482 हैं। सरकार ने नागपुर विभाग के छह जिलों में रद्द की गई 8,977 कुओं के लिए मंजूर 37 करोड़ 19 लाख रुपये को कुओं की दुरुस्ती के लिए मोड़ दिया है। जून से सितंबर 2025 के बीच अतिवृष्टि, बाढ़ और क्षतिग्रस्त कुओं की मरम्मत के लिए यह राशि विभागवार आवंटित किया जाएगा।
महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना के तहत नए कुएं खोदने वाले पात्र किसानों को 5 लाख रुपये तक का अनुदान दिया जाता है। अब कुओं के निर्माण को रोककर राशी दुरुस्ती की ओर मोड़ने से किसानों में नाराजगी फैल गई है। कई किसान अभी भी सिंचाई सुविधा से वंचित हैं। जिले के 2,19,147 हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि का अधिकांश हिस्सा अभी भी बारिश पर निर्भर है, और जिले का 63% क्षेत्र शुष्क भूमि है। ऐसे में योजना का रुक जाना किसानों के सिंचाई के सपनों को अधूरा छोड़ देगा।
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पिछले दस महीनों से रोजगार गारंटी योजना के फंड में अनियमितता के कारण मजदूर और लाभार्थी परेशान थे। कई स्थानों पर कुशल और अकुशल मजदूरों की भुगतान लंबित है। राशी की कमी के कारण अधिकांश किसानों ने कुओं का काम शुरू ही नहीं किया था। अब राशी के दुरुस्ती की ओर मोड़ने से नई समस्या उत्पन्न हुई है और किसानों को फिर से बिना सिंचाई के खेती करने का सामना करना पड़ेगा।
विदर्भ में गोसीखुर्द को छोड़कर बड़े सिंचाई प्रोजेक्ट नहीं होने के कारण किसान बारिश के पानी पर निर्भर हैं। सिंचाई की कमी लगातार समस्या बनी हुई है। इसी कारण 2016 में सरकार ने सिंचाई कुओं का प्रोग्राम शुरू किया था। छह जिलों में 30 जून 2020 तक कुओं के निर्माण का लक्ष्य रखा गया था। लेकिन समय वृद्धि के बावजूद अपेक्षित गति न मिलने के कारण यह योजना अधूरी ही रह गई।