भंडारा जिला अस्पताल की बिगड़ी व्यवस्था (सौजन्य-नवभारत)
Bhandara Latest News: भंडारा जिला सामान्य अस्पताल की लचर व्यवस्था अब मरीजों की तकलीफ का कारण बन चुकी है। हालात इतने खराब हैं कि कुछ भर्ती मरीजों को तकिया और बेडशीट जैसी बुनियादी सुविधाएं तक नहीं मिल रहीं। किसी को तकिया नहीं, किसी को बेडशीट नहीं, तो किसी को जमीन पर बिस्तर बिछाकर सुला दिया जाता है।
मजबूरी में कई मरीज अपने घर से तकीया-बेडशीट लेकर आने लगे हैं। यह सरकारी जिला अस्पताल की स्थिति है, जहां मरीजों को सुविधा तो दूर, संवेदना भी नहीं मिल पा रही। अस्पताल प्रबंधन की यह उपेक्षा तब और शर्मनाक लगती है जब वस्त्र भंडार का रिकॉर्ड देखा जाए।
उल्लेखनीय है कि 300 बेड वाले जिला अस्पताल में पर्याप्त मात्रा में सामग्री मौजूद है। 682 तकिए, 579 सफेद बेडशीट, 560 पिंक बेडशीट, 682 ग्रीन बेडशीट, 1450 सोलापुरी चादरें, 1723 ब्लैंकेट, 1360 पेशंट ड्रेस, 2528 पैजामे, 2880 महिला पेटीकोट और 6087 पिलो कवर अस्पताल के गोदाम में धूल फांक रहे हैं। बावजूद इसके मरीजों को इसका लाभ नहीं मिल रहा।अब सवाल उठता है कि आखिर यह सामग्री मरीजों तक क्यों नहीं पहुंचती?
वस्त्र भंडार इंचार्ज जांभुलकर का कहना है, वार्ड से मांग नहीं आती, तो किसे और कितनी सामग्री चाहिए, यह कैसे पता चले? यानी मरीजों की सुविधा अब कागजी मांग पर निर्भर हो चुकी है। प्रशासन को अपनी जिम्मेदारी समझ में नहीं आ रही है और स्टाफ की लापरवाही खुलेआम दिखाई दे रही है। डॉक्टरों के लिए भी सर्जन ड्रेस 1733 और टॉवेल 1469 संख्या में उपलब्ध हैं।
इसके अलावा टर्किश नैपकिन 100 और हॅनिकॉम टॉवेल 396 की संख्या में मौजूद हैं,इनके उपयोग पर भी कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है। सरकारी कागजों में ‘सुविधा सम्पन्न’ यह अस्पताल, हकीकत में मरीजों के लिए त्रासदी का केंद्र बन चुका है। अगर यह लापरवाही यूं ही जारी रही तो वह दिन दूर नहीं, जब भर्ती से पहले मरीजों को कहा जाएगा, अपना तकीया-बेडशीट घर से लेकर आइए। यह मानवीय संवेदनाओं का खुला अपमान है। जिम्मेदारों पर कड़ी कार्रवाई ही इस बेपरवाह व्यवस्था को जगाने का एकमात्र उपाय है।
अस्पताल में बेबी मैट्रेस 65 उपलब्ध हैं, लेकिन बड़ी मैट्रेस दो वर्षों से नहीं मिल रही। एक हजार मैट्रेस की मांग बार-बार की जा चुकी है, पर अब तक मंजूरी नहीं मिली। परिणामस्वरूप केवल दो बड़ी मैट्रेस वस्त्र भंडार में धूल फांक रही हैं। अस्पताल में ब्लू बेडशीट भी नहीं है। 10,000 बेडशीट की मांग की गई है, जबकि डोर कर्टन, कर्टन क्लॉथ, दरी और कॉटन मैट्रेस का भी अभाव है। टर्किश टॉवेल एक साल पहले ही समाप्त हो चुके हैं।
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वस्त्र भंडार में आवश्यक कपड़े सिलने की सुविधा मौजूद है, लेकिन पर्दे बनाने के लिए कपड़ा ही नहीं है। वहीं, एप्रीन सिलाने के लिए स्काय ब्ल्यू ब्लीच कपड़ा 1918 मीटर उपलब्ध है। और तो और, लाश (डेड़ बॉडी) बांधने के लिए सफेद कपड़ा 414 मीटर तक रखा हुआ है।
वस्त्र भंडार के कपड़ों को चूहों से बचाने के लिए चारों ओर से चाक-चौबंद व्यवस्था की गई है, लेकिन गोदाम लगातार बंद रहने से बाहर की हवा अंदर नहीं आ सकती। वहीं, अंदर की हवा बाहर नहीं जा सकती। नतीजतन वहां सिलन की असहनीय बदबू उठती है। इस बदबू से बचने के लिए डामर गोली रखकर काम चलाया जा रहा है।पिछले पचासों वर्षों में अस्पताल प्रबंधन की ओर से वेंटिलेशन वेंट की कोई व्यवस्था नहीं की जा सकी, इस पर आश्चर्य व्यक्त किया जा रहा है।
मुझे इस बारे में कोई पर्याप्त जानकारी नहीं है। मैं देखता हूं कि इस बारे में क्या किया जा सकता है। निश्चित ही सकारात्मक और आवश्यक कदम उठाएं जाएंगे।