धरने पर उतरे विस्थापित (सौजन्य-नवभारत)
Wainganga River Agitation: गोसीखुर्द परियोजना से विस्थापितों की लंबित मांगों पर समाधान निकालने के लिए प्रशासन की ओर से दिया गया वादा टूटने के कारण प्रकल्पग्रस्तों का गुस्सा शनिवार की शाम को वैनगंगा नदी के तट पर फिर से भड़क उठा। कड़ाके की ठंड और कंपकंपाती हवा के बीच प्रदर्शनकारी कीचड़ और पानी में डटे रहे और प्रशासन का तीव्र विरोध किया।
उल्लेखनीय है कि प्रशासन ने शुक्रवार, को आयोजित जलसमाधि आंदोलन को रोकने के लिए, प्रकल्पग्रस्तों के साथ शनिवार को नागपुर में जल संसाधन मंत्री के साथ बैठक सुनिश्चित की थी। निवासी उप-जिलाधिकारी लीना फालके ने इसका लिखित पत्र भी दिया था। हालांकि, जल संधसाधन मंत्री की ओर से दिन भर समय न दिए जाने के कारण यह नियोजित बैठक नहीं हो सकी।
पिछले कई वर्षों से पुनर्वास, नौकरी और उचित मुआवजे की मांग को लेकर संघर्ष कर रहे विस्थापितों में इस घटना के कारण यह तीव्र भावना पैदा हुई है कि सरकार ने उन्हें एक बार फिर धोखा दिया है। आज सुबह एक प्रतिनिधिमंडल नागपुर गया था।
दिन भर बैठक का इंतजार कर रहे सैकड़ों विस्थापितों को जैसे ही शाम को बैठक रद्द होने की खबर मिली, वे सीधे कारधा स्थित वैनगंगा नदी के तट की ओर दौड़ पड़े और नदी के पानी में धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया। प्रकल्पग्रस्त संघर्ष समिति के संयोजक भाऊ कातोरे के नेतृत्व में सैकड़ों महिला-पुरुषों ने नदी के पानी में उतरकर प्रशासन का तीव्र विरोध व्यक्त किया।
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इस दौरान दिलीप मडामे, अभिषेक लेंडे, आरजू मेश्राम, कृष्णा केवट, अतुल राघोर्ते, प्रमिला शहारे, मनीषा भांडारकर, यशवंत टीचकुले और एजाज अली सैयद सहित बड़ी संख्या में नागरिक उपस्थित थे।
गुस्साए विस्थापितों ने इस दौरान जनप्रतिनिधियों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और प्रदर्शन किया। प्रकल्पग्रस्तों का स्पष्ट आरोप है कि 6 से 12 अक्टूबर तक हुए तीव्र आंदोलन के बाद पालक मंत्री ने मुख्यमंत्री और जल संसाधन मंत्री के साथ बैठक कराने का आश्वासन दिया था, लेकिन उसके बाद उन्होंने ध्यान नहीं दिया और आज भी वे धोखे के शिकार हुए हैं।
प्रकल्पग्रस्तों ने दृढ़ संकल्प व्यक्त किया है कि जब तक उनकी मांगों पर कोई समाधान नहीं निकलता, तब तक वे आर-पार की लड़ाई लड़ते रहेंगे। किसी भी अप्रिय घटना को टालने के लिए पुलिस बल का एक बड़ा दस्ता और एनडीआरएफ की टीम फिर से नदी के तट पर तैनात कर दी गई। इसके कारण पूरे क्षेत्र को छावनी का रूप दे दिया गया है और पुलिस पर जिम्मेदारी का तनाव बढ़ गया है।