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गोसीखुर्द प्रकल्पग्रस्तों का उग्र आंदोलन, पुलिस ने रोका जलसमाधि का प्रयास, नारेबाजी से गुंजा इलाका

Rehabilitation Demand: गोसीखुर्द परियोजना से प्रभावित विस्थापितों ने वैनगंगा नदी किनारे जलसमाधि आंदोलन की चेतावनी दी, जिसे प्रशासन की सतर्कता से रोका गया।

  • By आंचल लोखंडे
Updated On: Dec 13, 2025 | 03:35 PM

पुलिस ने रोका जलसमाधि का प्रयास (सौजन्यः सोशल मीडिया)

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Gosekhurd Project: गोसीखुर्द परियोजना को शुरू हुए काफी समय बीत चुका है, लेकिन परियोजना से प्रभावित लोगों को नौकरी और पुनर्वास को लेकर दिए गए आश्वासन आज भी अधूरे हैं। अक्टूबर में हुए तीव्र आंदोलन के बाद पालकमंत्री की मध्यस्थता से आंदोलन स्थगित किया गया था, लेकिन आश्वासनों की पूर्ति नहीं होने से विस्थापितों में भारी निराशा है।

इसी पृष्ठभूमि में महाराष्ट्र राज्य प्रकल्पग्रस्त संघर्ष समिति ने शुक्रवार को कारधा स्थित वैनगंगा नदी के तट पर जलसमाधि आंदोलन करने की चेतावनी दी थी। हालांकि, जिला प्रशासन की सतर्कता के चलते यह आंदोलन समय रहते रोक दिया गया। विस्थापितों ने दिनभर धरना देकर शासन और जनप्रतिनिधियों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।

पुलिस छावनी में तब्दील हुआ परिसर

संघर्ष समिति की चेतावनी के अनुसार सैकड़ों परियोजनाग्रस्त कारधा में वैनगंगा नदी किनारे एकत्रित हुए। नागपुर में चल रहे शीतकालीन विधानसभा सत्र को देखते हुए प्रशासन किसी भी अप्रिय घटना को टालने के लिए पूरी तरह मुस्तैद था। इसी सतर्कता के कारण जलसमाधि का प्रयास विफल रहा। नदी तट पर सैकड़ों पुलिसकर्मियों और राज्य रिजर्व पुलिस बल (SRPF) की तैनाती की गई, जिससे पूरा इलाका पुलिस छावनी में तब्दील हो गया। प्रशासनिक मुस्तैदी के चलते कोई अनुचित घटना नहीं हुई।

पालकमंत्री ने नहीं दिया ध्यान

तहसीलदार संदीप माकोडे सहित संबंधित अधिकारी पूरे घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए थे। आंदोलन के दौरान विस्थापितों ने जनप्रतिनिधियों के खिलाफ तीखी नारेबाजी की। वर्षों से लंबित मांगों की अनदेखी के चलते उनका आक्रोश फूट पड़ा।

टला बड़ा हादसा

6 से 12 अक्टूबर तक चले आंदोलन के दौरान पालकमंत्री ने मुख्यमंत्री और जल संसाधन मंत्री के साथ मुंबई में बैठक आयोजित करने का आश्वासन दिया था। इसके लिए 11 सदस्यों की कोर कमेटी गठित करने का सुझाव दिया गया, जिसे 15 अक्टूबर को बनाकर प्रशासन को सूचित किया गया। विस्थापितों का आरोप है कि इसके बाद पालकमंत्री ने इस मुद्दे पर दोबारा ध्यान नहीं दिया। अंततः निवासी उपजिलाधिकारी लीना फालके ने समिति के प्रतिनिधिमंडल से चर्चा की और 13 दिसंबर को नागपुर में जल संसाधन मंत्री के साथ बैठक आयोजित किए जाने की जानकारी दी।

ये भी पढ़े: एकजुटता से हटाया सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा, खेल मैदान के लिए युवाओं का श्रमदान

बैठक पर टिकी सबकी निगाहें

शनिवार को होने वाली इस बैठक पर अब सभी की निगाहें टिकी हैं कि क्या परियोजनाग्रस्तों की मांगों पर कोई ठोस और सकारात्मक निर्णय लिया जाता है। समिति के नेता भाऊ कातोरे, दिलीप मडामे, अभिषेक लेडे, आरजू मेश्राम, कृष्णा केवट, अतुल राघोर्ते, प्रमिला शहारे, मनीषा भांडारकर, यशवंत टीचकुले और एजाज अली सैयद ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने एक बार फिर झूठे आश्वासन दिए, तो आंदोलन और उग्र किया जाएगा।

क्या हैं प्रकल्पग्रस्तों की प्रमुख मांगें

  • जलाशय से प्रभावित गांवों और खेतों का भूमि अधिग्रहण कर उचित पुनर्वास किया जाए।
  • परियोजनाग्रस्त प्रमाणपत्र नए सिरे से जारी किए जाएं और उनका हस्तांतरण सरल बनाया जाए।
  • करचखेड़ा, नेरला, खापरी और रुयाड जैसे गांवों का तत्काल पुनर्वास किया जाए।
  • मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस शीतकालीन सत्र में 12 दिसंबर तक आर्थिक प्रावधानों सहित शासन निर्णय लें।

Gosekhurd project affected water samadhi protest bhandara

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Published On: Dec 13, 2025 | 03:35 PM

Topics:  

  • Bhandara News
  • Gosekhurd Dam
  • Maharashtra

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