रेत तस्करी (फाइल फोटो)
Bhandara Sand Mining Scam: महाराष्ट्र के भंडारा जिले में मोहाडी और पवनी तहसीलों से जुड़े अवैध रेत उत्खनन (रेती घाट) के एक गंभीर मामले पर विधानसभा में चर्चा के दौरान सरकार ने बड़ी कार्रवाई करने का निर्णय लिया है। राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने सदन को जानकारी दी कि अवैध उत्खनन को संरक्षण देने के आरोप में तत्कालीन उपविभागीय अधिकारी (एसडीओ) गजेंद्र बालपांडे को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जा रहा है।
उन्होंने यह भी पुष्टि की कि सेवानिवृत्त हो चुके तत्कालीन तहसीलदार महेंद्र सोनवण पर भी इस अवैध रेत चोरी के मामले में आपराधिक मुकदमा दर्ज करने की कार्रवाई की जाएगी। मंत्री महोदय ने स्वीकार किया कि सोनवणे का ‘सबसे बड़ा रैकेट’ है और बालपांडे तथा सोनवणे ने अवैध रेत घाटों पर कभी कार्रवाई नहीं की, बल्कि उन्हें अत्यधिक संरक्षण दिया, जिससे सरकार को भारी नुकसान हुआ है।
यह मामला मौजा बेटाला दक्षिण और मौजा बेटाला उत्तर के दो रेत घाटों के डिपो से संबंधित है, जो केशवप्रिया इन्फ्रास्ट्रक्चर, मलाड मुंबई को तीन साल के लिए दिए गए थे। पवनी के तहसीलदार को 25 मई 2025 को गुलेगांव स्थित वाडी डिपो में 34,600 ब्रास अवैध रूप से उत्खनन किए जाने की रिपोर्ट वहां के पटवारी ने दी थी।
आरोप लगाने वाले विधायक नरेंद्र भोंडेकर का दावा है कि यह उत्खनन डिपो नीति की सीमा से कहीं अधिक किया गया है, और उन पर 300 करोड़ रुपये से अधिक का जुर्माना लगाया जाना चाहिए। सरकार ने इस मामले में 65 करोड़ रुपये की राशि वसूल करने और संबंधित डिपोधारक कंपनी पर भी आपराधिक मामले दर्ज करने का निर्णय लिया है।
यह बात भी सामने आई है कि तत्कालीन तहसीलदार महेंद्र सोनवणे और एस.डी.ओ. बालपांडे ने पटवारी की रिपोर्ट पर त्वरित रूप से कार्रवाई नहीं की और न ही स्पॉट पंचनामा या सीसीटीवी फुटेज की जांच की। इसके अलावा, जिला खानीकरण अधिकारी (डीएमओ) पर भी बड़ी गलती का आरोप है, क्योंकि उन्होंने रिपोर्ट मिलने के बावजूद ईटीएस सर्वे नहीं कराया।
यह भी पढ़ें – पंचतत्व में विलीन हुए शिवराज पाटिल, राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार, खरगे समेत कई नेता रहे मौजूद
मंत्री महोदय ने माना कि डीएमओ की इस मामले में ज्यादा गलती है। भोंडेकर ने यह भी आरोप लगाया कि रेत घाटवाले इतने अहंकारी हो गए हैं कि वे कहते हैं कि हमारा विधायक कुछ नहीं बिगाड़ सकता। विधायक ने डीएमओ और कलेक्टर को निलंबित करने की मांग भी की, क्योंकि उन्होंने इस मामले को महीनों तक दबाए रखा था।
हालांकि, मंत्री ने कहा कि जिलाधिकारियों का इसमें ज्यादा दोष नहीं है, बल्कि डीएमओ ने ईटीएस सर्वे नहीं कराया। सरकार ने सदन को आश्वस्त किया है कि बालपांडे और सोनवणे दोनों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर आपराधिक जांच करवाई जाएगी।