
चावल के दाम में बढ़ोतरी (सौजन्य-सोशल मीडिया)
Bhandara Rice Cost: धान का कटोरा के रूप में प्रसिद्ध भंडारा जिले में इस साल चावल के दाम ने रिकॉर्ड ऊंचाई छू ली है। बाजार में नए चावल की आवक होते ही आम जनता की पसंद के महीन चावल की कीमतों में 15 से 20 प्रतिशत तक की भारी वृद्धि दर्ज की गई है। वापसी के मानसून की बेमौसम बरसात, रोगों का प्रकोप और बदलते बुआई क्षेत्र के कारण उत्पादन में हुई भारी गिरावट को इस मूल्य वृद्धि का मुख्य कारण माना जा रहा है।
जिले की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाने वाले चावल के दाम आसमान छूने से सामान्य नागरिकों का आर्थिक बजट पूरी तरह से चरमरा गया है। भंडारा जिला अपने स्वादिष्ट और सुगंधित चावल के लिए देश भर में प्रसिद्ध है। हालांकि, इस साल फसल को प्राकृतिक आपदाओं ने चौतरफा घेर लिया है। मानसून के लंबा खिंचने से बुआई में देरी हुई। इसके बाद अत्यधिक बारिश, बाढ़ की स्थिति और रोगों के प्रकोप ने फसल को नुकसान पहुंचाया।
फसल कटाई के अंतिम चरण में बेमौसम बारिश ने धान की फसल को बुरी तरह से भिगो दिया। इस आपदा के कारण उत्पादन में भारी कमी आई है, वहीं गीले धान के कारण गुणवत्ता प्रभावित हुई है। बारिश में भीगने के कारण न केवल उत्पादन कम हुआ, बल्कि धान की गुणवत्ता (ग्रेडिंग) भी गिर गई है।
जब भीगे हुए धान को मिलिंग के लिए मिल में ले जाया गया, तो उससे निकलने वाले चावल में टूटे हुए दानों (कणी) का अनुपात बढ़ गया। उच्च गुणवत्ता वाले साबुत चावल की आवक घटने से मांग और आपूर्ति का गणित पूरी तरह से बिगड़ गया है। बाजार में महीन किस्म के चावल की भारी कमी महसूस की जा रही है।
नया चावल बाजार में आते ही नागरिक पूरे साल के लिए भंडारण करते हैं, लेकिन इस साल के दाम देखकर ग्राहकों की आंखें फटी रह गई हैं:
| चावल का प्रकार | पिछले वर्ष दाम (प्रति क्विंटल) | इस वर्ष दाम (प्रति क्विंटल) |
|---|---|---|
| महीन / उत्कृष्ट चावल | 4,500 – 5,000 रुपये | 6,000 – 6,500 रुपये |
| टुकड़ा / कणी चावल | सामान्य दर | दामों में भारी उछाल |
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सिर्फ साबुत चावल ही नहीं, बल्कि गरीब और मध्यम वर्ग के भोजन का हिस्सा माने जाने वाले टुकडा और कणी चावल के दाम भी इस साल काफी बढ़ गए हैं। गंज बाजार के व्यापारियों का मत है कि बारिश के कारण उत्पादन कम हुआ है और गुणवत्ता प्रभावित हुई है, इसलिए मूल्य वृद्धि अपरिहार्य है।
हाल के वर्षों में किसानों का रुझान मोटी किस्म के धान की बुआई की ओर बढ़ा है, क्योंकि इसे न्यूनतम समर्थन मूल्य केंद्रों पर बेचना आसान होता है। इसके चलते घरेलू उपयोग के लिए उगाए जाने वाले उच्च गुणवत्ता वाले महीन चावल की खेती का रकबा घट गया है। जो किसान केवल अपने उपयोग के लिए चावल रखकर बाकी बेचते थे, उनकी संख्या भी कम हुई है।
जिले के नागरिकों के आहार में चावल की केंद्रीय भूमिका होती है। चावल महंगा होने से स्थानीय जनता के रसोई घर का बजट पूरी तरह से बिगड़ गया है, और उनकी जेब पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है। प्राकृतिक आपदा के आगे किसान और ग्राहक, दोनों ही बेबस हैं। विशेषज्ञों ने आशंका जताई है कि आने वाले समय में चावल की कमी और भी गंभीर हो सकती है।






