प्रतीकात्मक तस्वीर (सोर्स: सोशल मीडिया)
Bhandara Pawni Water Supply Crisis: भंडारा जिले के पवनी शहर से होकर बारहों महीने बहने वाली वैनगंगा नदी होने के बावजूद शहरवासियों को बीते दिनों से पेयजल के लिए भारी परेशानी उठानी पड़ी। अब तक पुराने फिल्टर प्लांट से शहर को पानी की आपूर्ति की जाती थी, लेकिन जनसंख्या और शहर के विस्तार को देखते हुए 28 करोड़ 92 लाख रुपये की लागत से नया फिल्टर प्लांट और नई पाइपलाइन बिछाई गई।
हालांकि, इस प्लांट के अत्यंत निकृष्ट दर्जे के काम के कारण जगह-जगह पाइपलाइन के जोड़ खुलने लगे हैं और फिल्टर प्लांट की टंकियों में लीकेज हो रहे हैं। भंगार मोटर पंप लगाए जाने से कई पंप बंद पड़ चुके हैं।
गोसीखुर्द प्रकल्प के दाहिनी नहर से लाईन खिसकने के कारण भी पहले पानी की आपूर्ति बंद हो चुकी थी। जनवरी 2025 से प्लांट का परीक्षण शुरू हुआ था, लेकिन 11 सितंबर से लीकेज बंद करने के लिए आपूर्ति पूरी तरह रोक दी गई।
पुराने फिल्टर प्लांट को चालू करने और आंबेडकर चौक के पास फटी पाइपलाइन की मरम्मत में तीन दिन लग गए, जिससे शहरवासियों को प्यासे रहना पड़ा।
नगर परिषद के कर्मचारी शैलेश बिसने ने अथक प्रयास कर 14 सितंबर को पानी की आपूर्ति बहाल की, लेकिन इस दौरान कुछ भागों में चार दिन और कुछ जगह तीन दिन तक नल सूखे रहे। इससे नागरिकों में आक्रोश फैल गया और मोर्चा निकालने की तैयारी तक की गई।
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नए फिल्टर प्लांट में लीकेज की समस्या जस की तस बनी हुई है। फिल्टर टैंक से शुद्ध किया हुआ पानी लीकेज के चलते लगातार नदी में बह रहा है। इससे बिजली और रसायन दोनों का नुकसान हो रहा है। पंप के पंखे बंद हो जाने से पानी में रसायन सही ढंग से नहीं मिल रहे।
मोटर पंप पर ढक्कन तक नहीं है, जिसके कारण वे भी खराब हो चुके हैं। लीकेज को मिट्टी से भरकर छुपाने की कोशिश की गई, पर समस्या जस की तस बनी हुई है।
नागरिकों का आरोप है कि प्लांट का काम और इस्तेमाल की गई सामग्री बेहद घटिया दर्जे की है। प्लांट परीक्षण में ही फेल साबित हुआ है, इसलिए कंत्राटदार के लंबित बिलों का भुगतान न किया जाए और उस पर आपराधिक मामला दर्ज हो। साथ ही, उसे ब्लैकलिस्ट कर संपूर्ण लागत की वसूली की जाए, ऐसी मांग जोर पकड़ रही है।